उज्जैन में होने वाला सिंहस्थ अब ज्यादा दूर नहीं है और इसे लेकर प्रशासनिक तैयारियां पूरे जोर-शोर से चल रही हैं। इंदौर–उज्जैन ही नहीं, बल्कि आसपास के कई जिलों की मशीनरी इस ऐतिहासिक आयोजन को सफल बनाने में जुट चुकी है। सड़कों, फ्लायओवर, घाटों और मूलभूत सुविधाओं के निर्माण के साथ-साथ व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जा रहा है। खबरों के मुताबिक, वर्ष 2028 में होने वाले उज्जैनी सिंहस्थ में करीब 30 करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड होगा।
गर्मी में होगा सिंहस्थ, बिजली बनी सबसे बड़ी चुनौती
इस बार सिंहस्थ गर्मी के मौसम में आयोजित होगा, जिससे व्यवस्थाओं की चुनौती और भी बढ़ गई है। लाखों टेंट, धर्मशालाएं, होटल, अखाड़े और श्रद्धालुओं के ठहरने के अस्थायी शिविरों में एसी, कूलर, पंखे और फ्रिज जैसे बिजली उपकरण बड़े पैमाने पर उपयोग में लाए जाएंगे। ऐसे में बिजली की खपत असामान्य रूप से बढ़ना तय है। अधिकारियों का कहना है कि सिंहस्थ के दौरान उज्जैन शहर और मेला क्षेत्र में बिजली की मांग करीब 100 करोड़ यूनिट तक पहुंच सकती है।
पिछले सिंहस्थ से 70 गुना ज्यादा बिजली की जरूरत
प्रशासनिक आंकड़ों के अनुसार, यह मांग पिछले सिंहस्थ की तुलना में लगभग 70 करोड़ यूनिट अधिक होगी। यानी इस बार बिजली खपत करीब 70 गुना तक बढ़ने की संभावना है। इतनी बड़ी मात्रा में निर्बाध और सुरक्षित बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करना बिजली विभाग और प्रशासन दोनों के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी है, क्योंकि कुछ मिनट की बिजली कटौती भी लाखों श्रद्धालुओं के लिए परेशानी का कारण बन सकती है।
उज्जैन में तीन दिन तक विशेषज्ञों का डेरा
सिंहस्थ के दौरान बिजली व्यवस्था को मजबूत और भरोसेमंद बनाने के लिए विशेषज्ञों की एक विशेष टीम उज्जैन पहुंच चुकी है। यह टीम तीन दिनों तक शहर में रहकर पूरी बिजली योजना का खाका तैयार करेगी। खास तौर पर क्षिप्रा नदी के किनारे बनने वाले विशाल मेला क्षेत्र में बिजली प्रबंधन को लेकर व्यावहारिक अनुभव साझा किए जाएंगे, ताकि किसी भी स्तर पर चूक न हो।
एक पल भी न थमे बिजली, यही लक्ष्य
विशेषज्ञ इस बात पर मंथन कर रहे हैं कि सिंहस्थ के दौरान एक सेकेंड के लिए भी बिजली आपूर्ति बाधित न हो। इसके लिए बैकअप सिस्टम, वैकल्पिक लाइनें, ट्रांसफॉर्मर की अतिरिक्त व्यवस्था और आपातकालीन योजनाओं पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। साथ ही तकनीकी खामियों, ओवरलोड और सुरक्षा से जुड़े पहलुओं का भी गहन अध्ययन किया जाएगा।
24 घंटे एक्टिव रहेगा कॉल सेंटर
श्रद्धालुओं और आयोजन से जुड़े लोगों की शिकायतों और समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए उज्जैन में एक विशेष कॉल सेंटर भी स्थापित किया जाएगा। यह कॉल सेंटर 24 घंटे सक्रिय रहेगा, ताकि बिजली से जुड़ी किसी भी समस्या पर तुरंत कार्रवाई की जा सके। इससे न सिर्फ व्यवस्थाएं बेहतर होंगी, बल्कि श्रद्धालुओं का अनुभव भी सहज और सुरक्षित बनेगा।
महाकुंभ को रोशन करने वाली टीम संभालेगी जिम्मेदारी
खास बात यह है कि उज्जैन पहुंची विशेषज्ञों की यह टीम उत्तरप्रदेश के उसी पावर डिपार्टमेंट से आई है, जिसने हाल ही में महाकुंभ जैसे भव्य आयोजन में सफलतापूर्वक बिजली व्यवस्था संभाली थी। उनके अनुभव और तकनीकी दक्षता से उज्जैन सिंहस्थ को भी रोशनी और ऊर्जा के लिहाज से एक मिसाल बनाने की तैयारी है।
श्रद्धा, व्यवस्था और तकनीक का अनोखा संगम
30 करोड़ श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास को संभालना आसान नहीं है। ऐसे में सिंहस्थ 2028 उज्जैन के लिए केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि प्रशासनिक क्षमता, तकनीकी प्रबंधन और समन्वय की सबसे बड़ी परीक्षा भी होगा। बिजली जैसी बुनियादी सुविधा को लेकर की जा रही यह तैयारी आने वाले सिंहस्थ को ऐतिहासिक और अविस्मरणीय बनाने की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है।