Ujjain News : मोक्षदायिनी शिप्रा के तट पर बसे महाकाल की नगरी उज्जैन में 2028 में होने वाले सिंहस्थ महाकुंभ की तैयारियां शुरू हो गई हैं। लेकिन इन तैयारियों के साथ ही एक बड़ा विवाद भी खड़ा हो गया है। मध्यप्रदेश सरकार की लैंड-पुलिंग योजना के खिलाफ पिछले आठ महीनों से प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अब अपने आंदोलन को तेज करने का ऐलान किया है।
भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में 18 जिलों के किसान उज्जैन में ‘घेरा डालो, डेरा डालो’ आंदोलन शुरू करने जा रहे हैं। एक तरफ प्रशासन 2028 के सिंहस्थ के लिए एक स्थायी कुंभ नगरी बसाना चाहता है, जिसके लिए लैंड-पुलिंग योजना प्रस्तावित की गई है।
वहीं दूसरी तरफ इस योजना ने स्थानीय किसानों को दो गुटों में बांट दिया है। एक तरफ जहां कुछ किसान इसे विकास के लिए जरूरी बताकर समर्थन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर एक बड़ा वर्ग इसे अपनी जमीन छीनने की साजिश बताकर इसका पुरजोर विरोध कर रहा है।
भारतीय किसान संघ ने मंगलवार से बड़े आंदोलन की घोषणा की है। दावा किया जा रहा है कि एक हजार से अधिक किसान कलेक्टर कार्यालय पर डेरा डालकर प्रदर्शन करेंगे
प्रशासन का पक्ष और योजना के समर्थक
इस पूरे मामले पर प्रशासन ने अपना रुख स्पष्ट किया है। उज्जैन कलेक्टर रोशन कुमार सिंह का कहना है कि किसी भी किसान की जमीन उसकी सहमति के बिना नहीं ली जाएगी। उन्होंने कहा, “जो किसान स्वेच्छा से विकास कार्यों के लिए जमीन देना चाहते हैं, केवल उन्हीं की भूमि अधिग्रहित की जा रही है।”
प्रशासन के इस आश्वासन के बाद मोहनपुरा, खिलचीपुर और कमेड जैसे गांवों के कई किसान योजना के समर्थन में आगे आए हैं और उन्होंने सहमति पत्र भी सौंपे हैं। संत समाज ने भी इस योजना का समर्थन किया है। महामंडलेश्वर प्रेमानंद महाराज ने अपनी 12 बीघा जमीन योजना के तहत देने की सहमति जताते हुए कहा कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सड़क और ड्रेनेज जैसी व्यवस्थाओं का विरोध करना उचित नहीं है।
‘जान दे देंगे, जमीन नहीं देंगे’
दूसरी ओर, भारतीय किसान संघ इस योजना को किसानों के खिलाफ एक साजिश बता रहा है। संघ का आरोप है कि प्रशासन डरा-धमकाकर किसानों से सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करवा रहा है। संघ के प्रदेश महामंत्री भारत सिंह बेस ने आरोप लगाया कि जिन किसानों ने पहले अवैध निर्माण किए थे, उन्हें कार्रवाई का डर दिखाकर सहमति देने के लिए मजबूर किया गया है।
किसानों का गुस्सा साफ नजर आ रहा है। मोहनपुरा गांव के एक किसान मोहनलाल कुमावत ने दो टूक शब्दों में अपनी मंशा जाहिर की। उन्होंने कहा कि “हम जान दे देंगे लेकिन जमीन नहीं देंगे। सरकार हमसे जबरन हमारी जमीन ले रही है, जबकि हम जमीन देना नहीं चाहते हैं।”
संघ ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि लैंड-पुलिंग कानून वापस नहीं लिया गया, तो वे मंगलवार से कलेक्ट्रेट का घेराव कर वहीं डेरा डाल लेंगे। इसके लिए हजारों किसानों के उज्जैन पहुंचने का दावा किया जा रहा है, जो अपने साथ रहने और खाने-पीने का सामान लेकर आएंगे। 2028 सिंहस्थ से पहले सरकार के लिए यह आंदोलन एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।