महाकाल की नगरी उज्जैन अब आध्यात्मिकता और स्वास्थ्य का संगम स्थल बनने की ओर तेज़ी से अग्रसर है। पहली बार आयोजित की जा रही “स्पिरिचुअल एंड वेलनेस समिट” इस दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
योग, आयुर्वेद और वेलनेस के क्षेत्र में भारत के अलग-अलग हिस्सों से आए विशेषज्ञ उज्जैन में जुटे हैं। यह आयोजन न केवल शहर की आध्यात्मिक पहचान को सशक्त बना रहा है, बल्कि हेल्थ-टूरिज्म को भी नई पहचान दिलाने की ओर इशारा कर रहा है।
समिट में जुटे देशभर के वेलनेस और योग विशेषज्ञ
होटल अंजुश्री में आयोजित इस समिट में देश के लगभग 300 से अधिक प्रतिनिधि और 40 से ज्यादा नामी संस्थानों के विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। इनमें परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद सरस्वती, हार्टफुलनेस इंटरफेथ के स्वामी त्रिलोचन चावला, योगा निसर्ग के स्वामी चैतन्य हरि, सॉलिटेयर ग्रुप के मयंक जायसवाल और कैवल्यधाम के मयंक लूनावत जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं। उनकी उपस्थिति उज्जैन में निवेश और वेलनेस इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार की संभावनाओं को मजबूती दे रही है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव की विशेष भागीदारी
इस समिट को और अधिक महत्वपूर्ण बनाने वाली बात है मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी। वे समिट में दोपहर को शामिल होंगे और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों से व्यक्तिगत बैठकें (वन-टू-वन मीटिंग) भी करेंगे। उनका उद्देश्य है उज्जैन को न केवल एक स्पिरिचुअल हब बनाना, बल्कि वेलनेस टूरिज्म की दिशा में भी इसे स्थापित करना।
स्थायी कुंभनगरी की ओर एक ठोस कदम
सरकार का दीर्घकालिक उद्देश्य है कि उज्जैन को “स्थायी कुंभनगरी” के रूप में विकसित किया जाए, जहां न केवल धार्मिक आयोजन हों, बल्कि स्वास्थ्य, योग और आयुर्वेद से जुड़े अंतरराष्ट्रीय केंद्र भी बनें। यह समिट उसी दिशा में एक रणनीतिक शुरुआत है, जिससे उज्जैन की वैश्विक पहचान और मज़बूत हो सकती है।
रोज़गार, निवेश और पर्यटन को मिल सकती है नई उड़ान
इस आयोजन से उज्जैन में निवेश के नए द्वार खुलने की उम्मीद है। यदि देश-विदेश की संस्थाएं यहां अपने वेलनेस सेंटर खोलती हैं, तो स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और शहर हेल्थ टूरिज्म के नक्शे पर प्रमुख रूप से उभरेगा। समिट के ज़रिए सरकार का उद्देश्य यह भी है कि उज्जैन को एक ऐसा मॉडल सिटी बनाया जाए, जहां आध्यात्मिकता और आधुनिक स्वास्थ्य प्रणाली का सुंदर समन्वय देखने को मिले।