मध्यप्रदेश विधानसभा का मॉनसून सत्र चल रहा है। हाल ही में विधानसभा में एक अनोखा नजारा देखने को मिला है। विधानसभा में एक भाजपा विधायक ने संस्कृत भाषा में प्रश्न पूछा, इतने में ही एक मंत्री ने फटाक से संस्कृत में उत्तर दिया। वहीं ये नजारा देख सत्र में मौजूद सभी सदस्य मेजें थपथपाकर उनकी सराहना करने लगे।
दरअसल, जबलपुर से विधायक अभिलाष पांडे ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से पूछा कि – सरकार भारत की प्राचीन भाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए क्या कदम उठा रही है? विधायक ने ये प्रश्न संस्कृत में पूछे और वहीं तुरंत शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने संस्कृत में उत्तर देना शुरू कर दिया। इस दौरान वहां मौजूद सभी सदस्यों उनकी सरहाना करते हुए मेजें थपथपाई।
मंत्री ने भी अपना अधिकांश उत्तर संस्कृत मे देते हुए कहा कि – भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इस संबंध में कई कदम उठाए है। जिनमें महर्षि पतंजलि सस्कृत संस्थान की स्थापना, संस्कृत के चार आदर्श आवासीय विद्यालय और 271 स्कूलों में संस्कृत की शिक्षा शामिल है।
इसके बाद विधायक अभिलाष पांडे ने नई शिक्षा नीति का हवाला देते हुए कहा कि – अंग्रेजी और हिंदी को बढ़ावा दिया जा रहा है। लेकिन संस्कृत को व्यावसायिक रूप से बढ़ावा देने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है।
साथ ही उन्होंने कहा कि – सरकार को संस्कृत भाषा को बोलचाल की भाषा के रूप में बढ़ावा दने के लिए कदम उठाने चाहिए और पूछा कि क्या सरकार संस्कृत दिवस या संस्कृत सप्ताह मनाने की योजना बना रही है।
तब मंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि – हर जिल में संस्कृत वैदिक शिक्षा और योग संस्थान स्थापित करने की योजना बनाई जा रही है। जिसके तहत आदर्श आवासीय विद्यालयों में नामांकित 3500 बच्चो को 2024-25 में छात्रवृति दी गई है।
साथ ही पूर्व मंत्री और वरिष्ठ भाजपा सदस्य गोपाल भार्गव ने भी संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने वाले संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि वह स्वयं एक संस्कृत महाविद्यालय चलाते है। लेकिन उन्हें पिछले 22 सालों से कोई वित्तीय सहायता नहीं मिली है।