UP Bypoll Election: यूपी की सभी 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीखों ने हुआ बदलाव, ये है कारण, जानें अब किस दिन होगी वोटिंग

UP Bypoll Election: चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश की सभी 9 सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीख में बदलाव किया है। अब मतदान 13 नवंबर के बजाय 20 नवंबर को होगा, जबकि मतगणना और परिणाम की घोषणा 23 नवंबर को ही की जाएगी।

चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश के साथ ही पंजाब की 4 और केरल की एक सीट के उपचुनाव की तारीखों में भी बदलाव किया है। अब इन सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होगा। इसी दिन महाराष्ट्र की सभी 288 विधानसभा सीटों पर भी वोटिंग होगी। वहीं, झारखंड में दो चरणों में मतदान होगा, जहां 13 नवंबर और 20 नवंबर को मतदान होगा। उत्तर प्रदेश, पंजाब, केरल और महाराष्ट्र के साथ ही झारखंड और सभी उपचुनावों के परिणाम 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।

उत्तर प्रदेश की जिन 9 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होने हैं, वे हैं:

1. करहल
2. सीसामऊ
3. कुंदरकी
4. गाजियाबाद
5. फूलपुर
6. मझवां
7. कटेहरी
8. खैर
9. मीरापुर

इन सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होगा और परिणाम 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।

चुनाव की तारीख बदले जाने पर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने सबसे पहले प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि भाजपा ने भले ही मतदान की तारीख बदल दी हो, लेकिन सच्चाई यह है कि सभी 9 सीटों पर उसकी हार तय है। भदौरिया ने विश्वास जताया कि जनता भाजपा के खिलाफ मतदान करेगी और समाजवादी पार्टी को समर्थन देगी।

13 नवंबर को देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह का पर्व होने के कारण, उत्तर प्रदेश में यह त्योहार बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। इस दिन धार्मिक और सामाजिक आयोजन होने के कारण चार प्रमुख दलों ने चुनाव आयोग से मतदान की तारीख बदलने की मांग की थी, जिसमें भाजपा भी शामिल थी। दलों का तर्क था कि त्योहार के चलते 13 नवंबर को चुनाव कराने से मतदान प्रतिशत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इन अनुरोधों को ध्यान में रखते हुए, चुनाव आयोग ने तारीख बदलकर 20 नवंबर कर दी है, जिससे मतदान में अधिक से अधिक लोग भाग ले सकें।

उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में इस बार मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा के बीच है। कांग्रेस ने उपचुनाव में अपने उम्मीदवार नहीं उतारने और सपा प्रत्याशियों का समर्थन करने का निर्णय लिया है। हालांकि, यूपी कांग्रेस के भीतर एक बड़ा धड़ा इस फैसले से संतुष्ट नहीं है और इसके प्रति असहमति जता रहा है। पार्टी के कुछ नेता इस फैसले को कांग्रेस की स्वतंत्र चुनावी रणनीति के खिलाफ मान रहे हैं, जिससे पार्टी के भीतर मतभेद उभर आए हैं।