UPI User Alert: नेशनल पेमेंट्स कॉरपॉरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने बैंकों, UPI पेमेंट ऐप और थर्ड पार्टी UPI सर्विस प्रोवाइडर के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जो अंक UPI ID से संबंधित हैं। इन निर्देशों का मुख्य उद्देश्य UPI यूजर्स को लेन-देन में आसानी देना, मोबाइल नंबर बदलने से जुड़ी गलतियों को कम करना और सिस्टम को अधिक यूजर-फ्रेंडली बनाना है। NPCI ने सभी सर्विस प्रोवाइडर्स को 31 मार्च तक इन निर्देशों को अनिवार्य रूप से लागू करने के लिए कहा है।
बैंकों और UPI एप्लिकेशन को अपने मोबाइल नंबर रिकॉर्ड का साप्ताहिक अपडेट करना होगा, जिससे किसी पुराने या बदले हुए नंबर से जुड़ी गलतियों से बचा जा सके। यह कदम UPI लेन-देन को अधिक सुरक्षित और त्रुटि-मुक्त बनाने के लिए उठाया गया है, ताकि उपयोगकर्ताओं को निर्बाध भुगतान अनुभव मिल सके।
UPI एप्लिकेशनों को अंक UPI ID को असाइन या अपडेट करने से पहले यूजर की अनुमति लेनी होगी, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि यूजर इस सुविधा का सक्रिय रूप से उपयोग करना चाहते हैं या नहीं। यह प्रक्रिया डिफॉल्ट रूप से ऑप्ट-आउट होगी, यानी यूजर को खुद इसे एक्टिवेट करना होगा। हालांकि, किसी भी भ्रम से बचाने के लिए एप्लिकेशन से ट्रांजैक्शन के दौरान अनुमति नहीं मांगी जाएगी, जिससे भुगतान प्रक्रिया सुगम बनी रहेगी।
NPCI के नए दिशानिर्देशों के तहत, बैंक और PSP एप्लिकेशन को अपने डेटाबेस को नियमित रूप से अपडेट करने के लिए मोबाइल नंबर रिवोकल लिस्ट/डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (MNRL/DIP) का उपयोग करना होगा। यह प्रक्रिया पुराने या बदले हुए नंबरों को सही तरीके से रिकॉर्ड में लाकर लेन-देन में गलतियों को कम करने में मदद करेगी। यदि NPCI के वेरिफिकेशन सिस्टम में कोई देरी होती है, तो UPI एप्लिकेशनों को अस्थायी रूप से अंक UPI ID की समस्याओं को हल करने की अनुमति होगी, लेकिन इन घटनाओं को महीने के अंत में NPCI को रिपोर्ट करना अनिवार्य होगा।
डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम (DoT) के नियमों के अनुसार, डिस्कनेक्ट किए गए मोबाइल नंबरों को 90 दिनों के बाद नए यूजर को प्रदान किया जा सकता है, जिन्हें “रीसायकल” या “चर्न्ड” नंबर कहा जाता है। टेलिकॉम प्रोवाइडर आमतौर पर तीन महीने तक कोई गतिविधि न दिखाने पर नंबर को डिएक्टिवेट कर देते हैं और फिर उसे नए यूजर को असाइन किया जाता है।
UPI ट्रांजेक्शन करने वाली एप्लिकेशनों को अब UPI नंबर को लिंक करने या ट्रांसफर करने से पहले यूजर की अनुमति प्राप्त करनी होगी। यूजर का बैंक-ऑथेन्टीकेटिड मोबाइल नंबर ही उसका UPI पहचानकर्ता होगा, जिससे वह किसी भी UPI एप्लिकेशन से भुगतान प्राप्त कर सकेगा।
इन नए नियमों का उद्देश्य UPI लेन-देन को आसान, सुरक्षित और पारदर्शी बनाना है, ताकि मोबाइल नंबर से जुड़ी गलतियों को कम किया जा सके। UPI बैंक और एप्लिकेशन को 31 मार्च 2025 तक इन नियमों को लागू करना होगा, और 1 अप्रैल 2025 से मासिक रिपोर्ट NPCI को जमा करनी होगी।