स्वतंत्र समय, लखनऊ
केशव प्रसाद मौर्य ( Keshav Prasad Morya ) के लगातार बगावती तेवर के बाद उत्तर प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने बुधवार शाम को पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। उन्होंने उत्तर प्रदेश में सरकार और संगठन के बीच मौजूदा खींचतान के संबंध में रिपोर्ट सौंप दी है।
Keshav Prasad Morya सरकार पर साध रहे हैं निशाना
पिछड़ों के सबसे बड़े नेता केशव प्रसाद मौर्य ( Keshav Prasad Morya ) लगातार योगी सरकार पर निशाना साध रहे हैं। वह बार-बार कह रहे हैं कि कार्यकर्ता और संगठन सरकार से बड़ा है। इधर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से मुलाकात करने राजभवन पहुंच गए हैं। हालांकि, इसे शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा है। इससे पहले योगी ने यूपी में दस विधानसभा सीटों पर होने वाले उप-चुनाव को लेकर मंत्रियों के साथ बैठक की। लोकसभा चुनाव में भाजपा को हुए सीटों के तगड़े नुकसान के बाद से ही खींचतान देखी जा रही है। भाजपा और सहयोगी पार्टी के नेता उत्तर प्रदेश सरकार के कामकाज पर सवाल उठा रहे हैं।
आखिर क्यों नाराज हैं केशव?
2017 में यूपी विधानसभा चुनाव के समय केशव मौर्य भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे। पार्टी को बंपर चुनावी कामयाबी मिली, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी योगी आदित्यनाथ को मिल गई। 2022 के विधानसभा चुनावों में केशव की हार को उस वक्त भी पार्टी में दबी आवाज में कहा गया कि वो हारे नहीं, साजिश के तहत हराए गए। इसके बाद पार्टी में केशव की स्थिति कमजोर मानी गई। अब लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद पार्टी के अंदरखाने योगी की स्थिति कमजोर मानी जा रही है। इसके चलते फिर से योगी और केशव के बीच मतभेद की खबरें सामने आ रही हैं। केशव ने 14 जुलाई को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में यह कहकर सियासी हलचल बढ़ा दी कि सरकार से बड़ा संगठन है।