भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव को लेकर अमेरिका ने स्पष्ट रुख अपनाते हुए दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि अमेरिका दोनों पक्षों को युद्ध से दूर रखने के लिए सक्रिय प्रयास कर रहा है, लेकिन वह इस टकराव में मध्यस्थ की भूमिका नहीं निभाएगा। उन्होंने कहा कि यह द्विपक्षीय मामला है, जिसे भारत और पाकिस्तान को मिलकर हल करना होगा।
राष्ट्रपति ट्रंप और अमेरिकी विदेश नीति की भूमिका
व्हाइट हाउस के अनुसार, राष्ट्रपति ट्रंप का मानना है कि भारत और पाकिस्तान दशकों पुराने विवादों से जूझ रहे हैं और वह चाहते हैं कि यह तनाव जल्द खत्म हो। अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार इस मसले पर गहरी नजर बनाए हुए हैं और दोनों देशों के नेताओं से संपर्क में हैं ताकि कूटनीतिक समाधान निकाला जा सके।
भारत पर दो दिन में दो बार हमला, जयशंकर ने की कूटनीतिक पहल
8 मई की रात पाकिस्तान द्वारा भारत पर हमले की नाकाम कोशिश के बाद, 9 मई को फिर से आक्रामकता दिखाई गई। इसके जवाब में भारत ने न केवल सख्त सैन्य प्रतिक्रिया दी बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी पाकिस्तान की हरकतें उजागर कीं। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो समेत कई देशों के नेताओं से बात की और पाकिस्तान के आक्रामक रवैये की जानकारी साझा की।
सीधी बातचीत की वकालत, लेकिन बिना हस्तक्षेप
अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने बताया कि अमेरिका ने दोनों देशों के बीच सीधी और शांतिपूर्ण बातचीत का समर्थन किया है, लेकिन स्पष्ट किया कि अमेरिका खुद मध्यस्थता नहीं करेगा। अमेरिका का मानना है कि शांति स्थापित करने का रास्ता संवाद से होकर जाता है, न कि किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप से।