Oil: अमेरिका ने ईरान पर अपने आर्थिक दबाव को और सख्त करते हुए कम से कम छह भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। इन कंपनियों पर आरोप है कि वे ईरानी पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल उत्पादों के व्यापार और विपणन में संलिप्त थीं। यह कदम अमेरिका द्वारा 20 वैश्विक संस्थाओं के खिलाफ की गई एक व्यापक कार्रवाई का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य ईरान के ऊर्जा क्षेत्र से होने वाली आय पर रोक लगाना है।
Oil: क्या है मामला?
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एक आधिकारिक बयान में कहा कि जिन भारतीय कंपनियों पर कार्रवाई की गई है, उन्होंने जानबूझकर ईरानी तेल उत्पादों से जुड़े “महत्वपूर्ण लेन-देन” किए हैं। यह गतिविधियाँ अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों का उल्लंघन मानी गई हैं।
बयान में कहा गया: “ईरानी शासन अब भी मध्य पूर्व में अस्थिरता फैलाने वाली गतिविधियों को आर्थिक सहायता प्रदान कर रहा है। इन प्रतिबंधों का उद्देश्य उस आय प्रवाह को रोकना है, जिसका इस्तेमाल ईरान आतंकवाद को समर्थन देने और अपने ही लोगों पर अत्याचार करने में करता है।”
Oil: किन भारतीय कंपनियों पर लगा प्रतिबंध?
जिन छह भारतीय कंपनियों को अमेरिका ने प्रतिबंधित किया है, उनके नाम इस प्रकार हैं:
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Kanchan Polymers
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Alchemical Solutions Pvt. Ltd.
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Ramniklal S. Gosalia and Company
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Jupiter Dye Chem Pvt. Ltd.
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Global Industrial Chemicals Ltd.
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Persistent Petrochem Pvt. Ltd.
इन कंपनियों के खिलाफ यह कार्रवाई Executive Order 13846 के तहत की गई है, जो 2015 के परमाणु समझौते से अमेरिका के बाहर निकलने के बाद ईरान पर दोबारा लागू किए गए प्रतिबंधों को सशक्त बनाता है।
Oil: व्यापक वैश्विक कार्रवाई का हिस्सा
अमेरिका द्वारा की गई इस ताजा कार्रवाई में न केवल भारतीय कंपनियाँ शामिल हैं, बल्कि उन वैश्विक व्यापारिक नेटवर्क को भी निशाना बनाया गया है जो ईरानी तेल की बिक्री को बढ़ावा देते हैं। इसमें बिचौलियों, शिपिंग कंपनियों और अन्य व्यापारिक संस्थाओं को शामिल किया गया है जो ईरान के साथ अप्रत्यक्ष रूप से कारोबार कर रहे हैं।
इस प्रतिबंध सूची में शामिल 10 जहाजों को “ब्लॉक्ड प्रॉपर्टी” के रूप में नामित किया गया है, यानी अब वे अमेरिकी नियंत्रण क्षेत्र में व्यापार नहीं कर सकेंगे और उनके संचालन पर प्रतिबंध रहेगा।
Oil: भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर असर?
हालांकि अमेरिका की यह कार्रवाई सीधे भारत सरकार के खिलाफ नहीं है, लेकिन इससे भारत-अमेरिका के व्यापारिक और कूटनीतिक रिश्तों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। भारत ईरानी तेल का एक प्रमुख ग्राहक रहा है, हालांकि उसने अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते ईरान से आधिकारिक तेल आयात पहले ही सीमित कर दिया था।
अब देखना यह होगा कि भारत सरकार इस स्थिति में क्या रुख अपनाती है और क्या ये कंपनियाँ कानूनी रास्ते से इस प्रतिबंध को चुनौती देती हैं।