स्वतंत्र समय, भोपाल
प्रदेश में महिला अपराध के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन अपराध पीडि़त महिलाओं को न्याय नहीं मिल रहा है। इसका कारण राज्य महिला आयोग ( Women’s Commission ) की बेंच सात साल से नहीं लगी है, क्योंकि ना तो आयोग में अध्यक्ष और ना ही सदस्य हैं। इस कारण पीडि़त महिलाएं न्याय पाने के लिए भटक रही हैं।
Women’s Commission में 24 हजार मामले पेंडिंग
अब तक राज्य महिला आयोग में करीब 24 हजार मामले पेंडिंग हैं, जबकि आयोग के नियमानुसार किसी भी शिकायत पर 15 दिन के अंदर कार्रवाई होनी चाहिए। आयोग में 2018 के बाद बेंच ही नहीं लगी है। इस कारण आयोग में पीडि़त महिलाओं के मामले बढ़ रहे हैं। आयोग में करीब 3500 महिलाएं हर साल महिला आयोग में शिकायत दर्ज करवाने पहुंचती हैं। दरअसल, 2018 में आयोग की अध्यक्ष लता वानखेड़े का कार्यकाल खत्म होने के बाद 2019 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार ने 18 मार्च 2020 आयोग की अध्यक्ष शोभा ओझा को बनाया था और सदस्यों की भी नियुक्ति की गई थी, लेकिन उसके बाद फिर से भाजपा की सरकार आई और नियुक्तियों का मामला कोर्ट पहुंच गया। कोर्ट में मामला लंबित होने की वजह से नई नियुक्तियां भी नहीं की गई।
भाजपा सरकार आने के बाद नहीं लगी बेंच
प्रदेश में दोबारा भाजपा की सरकार 2020 में बनने के बाद महिला आयोग में अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति नहीं हो पाई है। इस कारण हिंसा पीडि़त महिलाओं को न्याय नहीं मिल पा रहा है। आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मई में मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव को पत्र लिखा था। महिला आयोग में प्रदेश भर से हर रोज 9 से 10 महिलाएं शिकायत दर्ज हो रही है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होने के कारण महिलाएं निराश होकर लौट रही हें।