कौन हैं Vaibhavi Merchant? जिन्हें 28 साल बाद कोरियोग्राफी में मिला दूसरा नेशनल अवॉर्ड

बॉलीवुड की मशहूर कोरियोग्राफर Vaibhavi Merchant ने एक बार फिर अपनी कला का लोहा मनवाया है। 2025 में उन्हें फिल्म रॉकी और रानी की प्रेम कहानी के गाने ढिंढोरा बाजे रे के लिए दूसरा नेशनल फिल्म अवॉर्ड (सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी) मिला है। यह सम्मान उनके पहले नेशनल अवॉर्ड के 28 साल बाद आया, जो उन्होंने 1999 में हम दिल दे चुके सनम के गाने ढोली तारो ढोल बाजे के लिए जीता था। वैभवी की यह उपलब्धि न केवल उनकी प्रतिभा का प्रमाण है, बल्कि भारतीय सिनेमा में नृत्य कला के प्रति उनके समर्पण को भी दर्शाती है। आइए जानते हैं, कौन हैं वैभवी मर्चेंट और कैसे उन्होंने बॉलीवुड में अपनी एक खास जगह बनाई।

Vaibhavi Merchant: प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि

वैभवी मर्चेंट का जन्म चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ था। उनके पिता रमेश मर्चेंट और माता हृदया मर्चेंट हैं। वह मशहूर कोरियोग्राफर बी. हीरालाल की पोती हैं और उनकी छोटी बहन श्रुति मर्चेंट भी एक जानी-मानी कोरियोग्राफर हैं। नृत्य कला वैभवी के परिवार में विरासत की तरह है। उन्होंने अपने चाचा चिन्नी प्रकाश के साथ सहायक कोरियोग्राफर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की, जिससे उन्हें बॉलीवुड के नृत्य दृश्यों को गहराई से समझने का मौका मिला।

वैभवी ने 10 साल तक भरतनाट्यम की औपचारिक शिक्षा ली और वह आज भी इस शास्त्रीय नृत्य शैली की छात्रा बनी हुई हैं। उनकी यह ट्रेनिंग उनकी कोरियोग्राफी में साफ झलकती है, जहां वह शास्त्रीय और आधुनिक नृत्य का अनूठा मिश्रण पेश करती हैं।

Vaibhavi Merchant: करियर की शुरुआत और पहला नेशनल अवॉर्ड

वैभवी ने 1999 में संजय लीला भंसाली की फिल्म हम दिल दे चुके सनम के लिए अपनी पहली स्वतंत्र कोरियोग्राफी की। इस फिल्म का गाना ढोली तारो ढोल बाजे गुजराती गरबा और शास्त्रीय नृत्य का शानदार संगम था, जिसमें ऐश्वर्या राय और सलमान खान की जोड़ी ने कमाल कर दिखाया। इस गाने की कोरियोग्राफी ने न केवल दर्शकों का दिल जीता, बल्कि 21 साल की उम्र में वैभवी को उनका पहला नेशनल अवॉर्ड भी दिलाया। उस समय वह इस सम्मान की विशालता को पूरी तरह समझ नहीं पाई थीं, लेकिन यह उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ था।