स्वतंत्र समय, इंदौर
रविवार सुबह नेहरू स्टेडियम में महापौर पुष्यमित्र भार्गव द्वारा जल गंगा सर्वर्धन एवं वन्दे जलम अभियान ( Vande Jalam campaign ) के अंतर्गत 10, 5, एवं 3 किलोमीटर की जय महेश मैराथन का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने उपस्थित सभी नागरिकों को जल संग्रहण की शपथ दिलाई गई।
Vande Jalam campaign में 5 जून से 15 जून तक आयोजन
महापौर भार्गव ने अपने संबोधन में कहा, प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय डॉक्टर मोहन यादव जी के आवाहन पर प्रदेश में जल गंगा संवर्धन अभियान ( Vande Jalam campaign ) के तहत 5 जून से 15 जून तक विभिन्न आयोजन आयोजित किया जा रहे हैं, जिसके तहत वर्षा जल संग्रहण के साथ ही प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण के लिए भी कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान जल संकट को देखते हुए, हमें वर्षा जल संग्रहण को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। जल का सही और प्रभावी उपयोग करना आज के समय की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। महापौर द्वारा वर्षा जल संग्रहण के तरीकों पर जानकारी देते हुए कार्यक्रम में वर्षा जल को संग्रहित करने के विभिन्न तरीकों के बारे में भी जानकारी दी गई। मुख्य रूप से निम्नलिखित विधियों पर जोर दिया गया।
अभियान की महत्वपूर्ण बातें
- जय महेश मैराथन 2024
- समय 5.30 सुबह
- जुंबा 5.45 सुबह
- 10 कि मी रेस स्टार्ट 6 बजे
- 5 कि मी रेस स्टार्ट 6.15
- 3 कि मी रेस रेस स्टार्ट 6.25
रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
- छतों से गिरने वाले पानी को पाइपों के माध्यम से फिल्ट्रेशन यूनिट से होकर भूमिगत टैंकों में संग्रहित किया जा सकता है।
- यह पानी घर के उपयोग, बागवानी और अन्य आवश्यकताओं के लिए उपयुक्त होता है।
सतही जल संचयन
- पानी को खुले क्षेत्र, तालाब, या खेत तालाब में संग्रहित करना।
- सड़क किनारे जल संग्रहण
सड़कों के किनारे जल निकासी व्यवस्था का उपयोग करके पानी को छोटे टैंकों या जलाशयों में संग्रहित करना।
यह सार्वजनिक स्थलों और शहरी क्षेत्रों के लिए एक प्रभावी समाधान है।
पारंपरिक जल संग्रहण
- बावड़ी, कुएं, और तालाब जैसे पुराने जल संरचनाओं का पुनरुद्धार।
- इन तरीकों का उपयोग कर जल संग्रहण की परंपरागत विधियों को फिर से जीवित किया जा सकता है।
समुदाय की भागीदारी
महापौर पुष्यमित्र भार्गव एवं जलकार्य प्रभारी अभिषेक शर्मा बबलू ने इस मौके पर सभी नागरिकों से अपील की कि वे वर्षा जल संग्रहण के लिए उपयुक्त उपाय अपनाएं और जल संरक्षण में सक्रिय भागीदारी करें। उन्होंने कहा कि यह केवल सरकारी प्रयासों से संभव नहीं है; समुदाय की सहभागिता से ही हम इस अभियान को सफल बना सकते हैं।