Varanasi Flood: काशी में उफनाई गंगा, मणिकर्णिका-हरिश्चंद्र घाट डूबे, आरती स्थल में बदलाव

Varanasi Flood: पौराणिक नगरी काशी, जिसे भगवान शिव की नगरी माना जाता है, इन दिनों गंगा के उफान की वजह से गंभीर हालात से जूझ रही है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि भगवान शिव के मस्तक पर विराजित मां गंगा अब उनके धाम काशी विश्वनाथ में स्वयं जलाभिषेक करने को आतुर हैं। हालांकि इस दिव्यता से पहले काशी के सैकड़ों छोटे मंदिर और घाट गंगा जल में डूब चुके हैं। मोक्ष की कामना लेकर यहां पहुंचने वाले लोगों को अब शवदाह के लिए गलियों और छतों का सहारा लेना पड़ रहा है, क्योंकि परंपरागत घाट जलमग्न हो चुके हैं।

नदियों की गर्जना: काशी समेत पूर्वांचल के जिलों में गंगा का कहर

पिछले कई दिनों से उत्तराखंड और नेपाल की पहाड़ियों में हो रही भारी बारिश और बड़े बांधों से छोड़े जा रहे पानी ने गंगा नदी के जलस्तर को लगातार ऊपर चढ़ा दिया है। इसका असर अब स्पष्ट रूप से पूर्वांचल के वाराणसी समेत कई जिलों में दिखने लगा है। गंगा के साथ-साथ उसकी सहायक नदियाँ वरुणा और अस्सी में भी पलट प्रवाह शुरू हो चुका है, जिसके कारण निचले इलाकों में पानी घुसने लगा है। कोनिया, पुराना पुल सरैया, नक्की घाट जैसे क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है।

अर्धचंद्राकार घाटों की श्रृंखला टूटी, नावों पर लगी रोक

काशी की पहचान उसके 84 ऐतिहासिक घाटों से है, जो गंगा के तट पर अर्धचंद्राकार में फैले हुए हैं। लेकिन गंगा का जलस्तर इतना बढ़ चुका है कि इन घाटों का आपसी संपर्क टूट गया है। बहाव इतना तेज़ हो गया है कि प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से नौकायन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। हालांकि कुछ बड़े क्रूज़ सीमित रूप से अभी भी संचालित किए जा रहे हैं। घाटों की सीढ़ियाँ और मढ़ियाँ जल में समा चुकी हैं, जिससे श्रद्धालुओं और पर्यटकों की आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई है।

गंगा आरती का स्थान बदला, आस्था बनी रही अडिग

गंगा जल के निरंतर बढ़ते स्तर ने दशाश्वमेध, अस्सी और अन्य प्रमुख घाटों को आरती के आयोजन के लिए अस्थायी रूप से अनुपयुक्त बना दिया है। ऐसे में गंगा आरती को अन्य सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया गया है। कहीं यह आयोजन अब छतों पर किया जा रहा है तो कहीं सांकेतिक रूप में। इसके बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था में कोई कमी नहीं आई है और बड़ी संख्या में लोग किसी भी रूप में गंगा का पूजन करने के लिए उपस्थित हो रहे हैं।

रोजमर्रा की ज़िंदगी अस्त-व्यस्त, किसान और व्यापारी चिंतित

गंगा का जलस्तर इस समय चेतावनी बिंदु के बेहद करीब पहुंच चुका है और अनुमान है कि अगले 24 घंटों में यह खतरे के निशान को पार कर सकता है। पहले से ही नदी के तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है। कई दुकानदारों, नाविकों और घाट से जुड़े कारोबारियों को अपना व्यवसाय रोकना पड़ा है। वहीं खेतों के किनारे रहने वाले किसान फसलें डूबने के डर से परेशान हैं। अगर हालात यूँ ही रहे, तो बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

नमामि गंगे प्रोजेक्ट की सुंदरता भी संकट में

काशी के नव विकसित ‘नमो घाट’ जो पर्यटकों के आकर्षण का बड़ा केंद्र है, वह भी इस गंगा उफान की चपेट में आ गया है। यहाँ स्थित 50 फीट ऊँची सूर्य नमस्कार की मूर्ति जल में डूबने के करीब है। यह दृश्य एक तरफ चिंताजनक है, तो दूसरी ओर प्राकृतिक शक्ति की गंभीर चेतावनी भी। गंगा की यह अविरलता जहां एक ओर सांस्कृतिक चेतना को दर्शाती है, वहीं दूसरी ओर इंसानी व्यवस्थाओं की परीक्षा भी ले रही है।