वेदांत विद्याकुलम ने होमी लैब और कलाम फाउंडेशन के साथ मिलकर शुरू किया डॉ. कलाम फ्यूचर लैब

इंदौर: पिछले कुछ दशकों में शिक्षा और करियर के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। कोर्स और करियर की नई राहें खुली हैं। बच्चों को निकट और दूरस्थ भविष्य में फलने-फूलने वाले करियर के लिए तैयार करने के लिए इंदौर का अग्रणी शिक्षण संस्थान वेदांत विद्याकुलम, होमी लैब और कलाम फाउंडेशन के साथ मिलकर डॉ. कलाम फ्यूचर लैब की स्थापना करने जा रहा है। अत्याधुनिक तकनीक, विशेषज्ञों की दक्ष टीम से लैस इन लैब का उद्देश्य ऐसे विद्यार्थी तैयार करना है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), रोबोटिक्स, स्पेस टेक्नोलॉजी, बायोटेक और अन्य उभरते हुए क्षेत्रों में शिक्षित एवं और प्रशिक्षित हो सकें।

वेदांत विद्याकुलम के एकेडमिक डायरेक्टर श्री एस पी सारस्वत ने कहा, “वेदांत विद्याकुलम के फ्यूचर लैब डॉ कलाम से प्रेरित हैं, उनके विचारों से प्रेरित है हम ऐसे बच्चे तैयार करना चाहते हैं जो भविष्य को सकारात्मक और आशावादी दृष्टिकोण से देखें। जो इस बात पर विश्वास रखें कि ‘सपने पूरे करने के लिए सपने देखना जरुरी है’। इसी को ध्यान में रखते हुए वेदांत विद्याकुलम ने होमी लैब और कलाम फाउंडेशन के साथ मिल कर एक ऐसा प्लेटफार्म तैयार किया है जहाँ हम देश का सुदृण और मजबूत भविष्य तैयार किया जा सके। अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी के साथ इस लैब में एक्सपर्ट की ऐसी टीम मौजूद रहेगी जो बच्चों के चंहुमुखी विकास पर ध्यान देगी। इसकी विशेषता यह है कि पहली बार बच्चे न केवल भविष्य के बारे में पढ़ सकेंगें बल्कि एक्सटेंसिव सिम्युलेटर के माध्यम से उसे जी भी सकेंगें। न केवल धरती पर होने वाले घटनाक्रमों को बल्कि अंतरिक्ष में होने वाली घटनाओं को भी हम वर्चुअल रियलटी के माध्यम से सिम्युलेट करेंगें ताकि बच्चे बेहतर और सटीक अनुभव प्राप्त कर सकें। डॉ कलाम फ्यूचर लैब में बच्चों को एस्टॉरोइड सर्च कैम्पेन में भी काम करने का मौका मिलेगा। हम बच्चों को वर्तमान के साथ साथ भविष्य को भी पढ़ाने का लक्ष्य रखते हैं ताकि उनकी कल्पना शक्ति और कलात्मकता में वृद्धि हो सके। इसमें रूचि रखने वाले छात्रों को इस क्षेत्र में काम करने वाली ग्लोबल कंपनियों, नासा, इसरो और भारत सरकार के प्रोजेक्ट्स पर काम करने का मौका प्रदान करेंगें।”

वेदांत विद्याकुलम के डायरेक्टर्स श्री कैलाश कुमावत और श्री संजय बिरथरे ने बताया कि, “डॉ कलाम फ्यूचर लैब बच्चों और देश के बेहतर भविष्य के लिए काम कर रहा है। यह लैब इंदौर के छात्रों को 21वीं सदी और उससे आगे की चुनौतियों के लिए तैयार करने के लिए प्रैक्टिकल ज्ञान और प्रयोगों पर आधारित शिक्षा प्रदान करेगा। इस कोर्स को बच्चों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है जहाँ हर हफ्ते बच्चे को एक घंटे के लिए इस भविष्य की अनूठी दुनिया में सैर कराई जाएगी। हर एक बच्चे को एक साल में 10 कोर्स कराए जाएंगें। इन कोर्सेस को बच्चों की क्षमता और शिक्षा स्तर के हिसाब से तैयार किया गया है, अलग अलग क्लास में पढने वाले बच्चों के लिए इन कोर्सेस का स्तर भी अलग अलग रखा गया है। ये कोर्सेस एआई, रोबोटिक्स के साथ साथ आज से 50 साल बाद होने वाली घटनाओं जैसे कैसे मंगल पर जीवन जिया जाएगा, कैसे चंद्रमा पर जिन्दगी होगी, धरती को प्रदुषण और प्लास्टिक से मुक्त किया जाएगा, वायरस से कैसे लड़ा जाएगा, लाईलाज बीमारियों का उपचार कैसे होगा, उपकरण कैसे होंगें, इन सब के बारे में बताएगा। छात्रों को कक्षा में केवल सैद्धांतिक ज्ञान ही नहीं, बल्कि व्यावहारिक अनुभव भी मिलेगा। एआई, रोबोटिक्स, स्पेस टेक्नोलॉजी और अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन और सलाह मिलेगी। हमारा उद्देश्य है कि वेदांत विद्याकुलम के बच्चे अपनी कल्पनाओं और अनुभव को यथार्थ करें, ऐसी शिक्षा प्राप्त करे जो बेहतर कल का निर्माण कर सके।

वेदान्त विद्याकुलम विद्यालय के एडवाइज़र एवं विख्यात मोटिवेशनल स्पीकर श्री निर्मल भटनागर ने फ्यूचर लैब के बारे में कहा, “यह बड़ी हैरानी की बात है कि आज के युग में 70 प्रतिशत युवा मरते हुए करियर का पीछा कर रहे हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो वर्तमान शिक्षा से हम 150 करोड़ बच्चों को अतीत की नौकरियों के लिए तैयार कर रहे हैं। इसकी मुख्य वजह शिक्षा में भविष्य को ना जोड़ना और बच्चों को बड़े सपने ना दिखा पाना। ‘फ्यूचर लैब’, का उद्देश्य शिक्षा को भविष्य से जोड़ना और आज ही बच्चों का सामना भविष्य में होने वाले बदलावों से करवाना है। जिससे वे मात्र बड़े नहीं, बहुत बड़े, असंभव से लगने वाले सपने देख सकें और इस दुनिया को और बेहतर बना सकें। यह सपना वैसा ही होगा जैसा सपना डॉ कलाम को उनके शिक्षक श्री शिव सुब्रमण्यम अय्यर ने १९४० के दशक में समुद्र किनारे उड़ती हुई चिड़िया को दिखाकर, दिखाया था। इस एक सपने ने उन्हें तमाम चुनौतियों के बाद भी एक साधारण छात्र से ‘मिसाइल मैन’ बनाया था। जब डॉ कलाम हमारे देश के राष्ट्रपति और तीनों सेनाओं के प्रमुख बने तब उन्होंने ‘उड़ने’ या यूँ कहूँ हवाई जहाज उड़ाने के अपने सपने को लगभग 75 वर्ष की आयु में प्रॉपर ट्रेनिंग लेने के बाद वायुसेना के सुखोई विमान को उड़ा कर पूरा किया। डॉ. कलाम फ्यूचर लैब इंदौर के छात्रों के लिए एक अद्भुत अवसर है। यह लैब उन्हें भविष्य के लिए तैयार करेगा और उन्हें भारत और दुनिया में सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करेगी।“