छत्तीसगढ़ की धरती न केवल अपनी संस्कृति के लिए मशहूर है, बल्कि यहां के जंगल भी कई अनोखी वनस्पतियों और जंगली सब्जियों से भरपूर हैं। इन्हीं में से एक है ‘सरईबोड़ा’ नामक मशरूम, जो केवल बरसात के दिनों में डेढ़ से दो महीने के लिए ही मिलती है। दिखने में यह एक तरह का फंगस होता है, लेकिन इसका स्वाद और कीमत दोनों ही इसे खास बनाते हैं। यह मशरूम जंगल के अंदर विशेष परिस्थितियों में उगता है और आमतौर पर स्थानीय ग्रामीण इसे जंगल से इकट्ठा कर बाजार में बेचते हैं।
2 हजार रुपये किलो, फिर भी लोग खरीदने को तैयार
सरईबोड़ा की कीमत सुनकर कोई भी चौंक सकता है। बाजारों में इसकी कीमत 1500 से लेकर 2000 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाती है। इसकी इतनी ऊंची कीमत होने के बावजूद लोग इसे खरीदने में पीछे नहीं हटते। खासकर शहरों में रहने वाले लोग इस जंगली स्वाद के दीवाने हैं। इसका कारण है – इसका लाजवाब स्वाद और सेहत के लिए फायदेमंद गुण। यही वजह है कि यह सब्जी कुछ ही दिनों में बाजार से गायब हो जाती है।
सेहत के लिए भी फायदेमंद, लेकिन मिलती बहुत कम समय के लिए
सरईबोड़ा को न सिर्फ स्वाद के लिए खाया जाता है, बल्कि यह शरीर को ताकत देने वाली सब्जी के रूप में भी मानी जाती है। इसमें प्रोटीन, फाइबर और प्राकृतिक खनिज तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। गांवों में इसे खास तौर पर दाल, भात या साग के साथ खाया जाता है। बारिश के दिनों में जब जंगलों की मिट्टी नम रहती है, तभी यह मशरूम निकलता है। इसके बाद गर्मी बढ़ते ही यह गायब हो जाता है। यही वजह है कि यह सीजनल सब्जी इतनी महंगी हो जाती है।
ग्रामीणों के लिए कमाई का जरिया, लेकिन मांग शहरों से ज्यादा
छत्तीसगढ़ के बस्तर, कांकेर, सरगुजा और जशपुर जैसे इलाकों के जंगलों में सरईबोड़ा बड़ी मात्रा में पाया जाता है। गांव के लोग इसे इकट्ठा करके आसपास के हाट-बाजारों में बेचते हैं। इससे उन्हें अच्छी खासी कमाई हो जाती है। लेकिन इसकी सबसे ज्यादा मांग शहरों से आती है, जहां लोग जैविक और प्राकृतिक खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता दे रहे हैं। सीमित समय में उपलब्ध होने वाली यह जंगली सब्जी अब धीरे-धीरे लक्ज़री फूड का रूप लेती जा रही है।