रूसी राष्ट्रपति पुतिन का भारत दौरा, PM मोदी के साथ शिखर वार्ता, S-400 डिलीवरी और AK-203 सौदे पर होगी चर्चा

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक महत्वपूर्ण यात्रा पर भारत पहुंच रहे हैं। इस दौरे में वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 21वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यह यात्रा छोटी लेकिन बेहद अहम मानी जा रही है, क्योंकि इसमें दोनों देशों के बीच रक्षा, व्यापार और ऊर्जा क्षेत्र में कई बड़े समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है।

यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अफगानिस्तान में बदलते हालात और चीन के साथ सीमा पर तनाव जैसी भू-राजनीतिक चुनौतियां मौजूद हैं। 2019 में ब्रासीलिया में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बाद यह दोनों नेताओं के बीच पहली व्यक्तिगत मुलाकात होगी। इस यात्रा से दोनों देशों के बीच दशकों पुराने रणनीतिक संबंधों को और मजबूती मिलने की उम्मीद है।

रक्षा सहयोग और बड़े सौदे

इस दौरे का सबसे बड़ा आकर्षण रक्षा सौदे हैं। भारत को रूस से S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की डिलीवरी शुरू हो चुकी है और इस पर आगे की प्रक्रिया पर चर्चा होगी। इसके अलावा, दोनों देशों के बीच अमेठी की एक फैक्ट्री में 5 लाख से ज़्यादा AK-203 असॉल्ट राइफलों के संयुक्त उत्पादन के सौदे को अंतिम रूप दिया जा सकता है। साथ ही, सैन्य रसद समझौते (RELOS) पर भी बातचीत आगे बढ़ने की उम्मीद है, जिससे दोनों देशों की सेनाओं को एक-दूसरे के ठिकानों पर ईंधन और अन्य सुविधाएं मिल सकेंगी।

पहली ‘2+2’ मंत्रिस्तरीय वार्ता

शिखर सम्मेलन से पहले, दोनों देशों के बीच पहली ‘2+2’ मंत्रिस्तरीय वार्ता भी होगी। इस संवाद में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर अपने रूसी समकक्षों सर्गेई शोइगु और सर्गेई लावरोव के साथ बैठक करेंगे। इस बैठक का उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा और विदेश नीति के मुद्दों पर तालमेल को और बेहतर बनाना है। यह तंत्र भारत की कुछ ही देशों के साथ है, जो रूस के साथ संबंधों के महत्व को दर्शाता है।

व्यापार और ऊर्जा पर भी नजर

रक्षा के अलावा, आर्थिक सहयोग भी इस यात्रा का एक प्रमुख एजेंडा है। दोनों नेता व्यापार, ऊर्जा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर विचार-विमर्श करेंगे। भारत और रूस ने 2025 तक 30 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार का लक्ष्य रखा है, जिसे हासिल करने के उपायों पर चर्चा की जाएगी। इसके अलावा अंतरिक्ष अन्वेषण और परमाणु ऊर्जा में सहयोग पर भी बातचीत हो सकती है।

अफगानिस्तान और क्षेत्रीय सुरक्षा

अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद पैदा हुए सुरक्षा हालात पर भी पुतिन और मोदी के बीच विस्तृत चर्चा होने की उम्मीद है। आतंकवाद, कट्टरपंथ और मादक पदार्थों की तस्करी जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए एक साझा रणनीति बनाने पर दोनों नेताओं का जोर रहेगा। इसके अलावा, हिंद-प्रशांत क्षेत्र और मध्य एशिया की स्थिति पर भी विचारों का आदान-प्रदान होगा।