देश में इन दिनों मतदाता सूची से जुड़ा विवाद सुर्खियों में है। विपक्ष लगातार “वोट चोरी” के मुद्दे पर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा कर रहा है। इस आरोप-प्रत्यारोप के बीच, चुनाव आयोग ने विपक्ष के तमाम दावों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। इसी माहौल में भाजपा नेता अमित मालवीय का एक नया दावा सामने आया है, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
अमित मालवीय का बड़ा आरोप: नागरिकता से पहले ही बनी वोटर आईडी
अमित मालवीय ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक तस्वीर साझा करते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी का नाम भारत की मतदाता सूची में उनकी नागरिकता मिलने से पहले ही शामिल कर लिया गया था। उन्होंने जो तस्वीर पोस्ट की है, उसमें गांधी परिवार के सभी सदस्यों के नाम मौजूद हैं। मालवीय का कहना है कि यह मामला चुनावी कानूनों का गंभीर उल्लंघन है और इससे साफ होता है कि मतदाता सूची में हेरफेर हुआ।
सोनिया गांधी पर चुनावी कानून तोड़ने का आरोप
अपने पोस्ट में मालवीय ने लिखा कि सोनिया गांधी पहले से ही मतदाता सूची में गड़बड़ी करती रही हैं और ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं, जिनसे यह साबित होता है कि उन्होंने चुनावी नियमों की अनदेखी की। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि राहुल गांधी अवैध और अयोग्य मतदाताओं को नियमित करने के पक्षधर हैं और विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का विरोध करते हैं।
पहली बार 1980 में आया नाम — तब थी इटालियन नागरिक
मालवीय के मुताबिक, सोनिया गांधी का नाम पहली बार साल 1980 में मतदाता सूची में जोड़ा गया, जबकि उस समय उनके पास इतालवी नागरिकता थी। तब तक उन्हें भारतीय नागरिकता नहीं मिली थी। वर्ष 1980 में गांधी परिवार प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आधिकारिक आवास 1, सफदरजंग रोड में रहता था। उस पते पर पहले से इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, संजय गांधी और मेनका गांधी का नाम मतदाता सूची में दर्ज था।
1 जनवरी 1980 को हुआ संशोधन, नाम आया सूची में
नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र की मतदाता सूची में 1 जनवरी 1980 को पात्रता तिथि मानकर संशोधन किया गया। इसी संशोधन में सोनिया गांधी का नाम मतदान केंद्र 145 के क्रमांक 388 पर दर्ज किया गया। यह उस कानून का उल्लंघन था, जिसमें स्पष्ट है कि भारत का मतदाता बनने के लिए व्यक्ति का भारतीय नागरिक होना आवश्यक है। भारी विरोध के चलते 1982 में उनका नाम सूची से हटा दिया गया।
1983 में फिर से जुड़ा नाम — नागरिकता मिलने से पहले
हालांकि, मालवीय का कहना है कि 1983 में मतदाता सूची के नए संशोधन में फिर से उनका नाम जोड़ दिया गया। उस समय उनका नाम मतदान केंद्र संख्या 140 में क्रमांक 236 पर दर्ज था। पात्रता तिथि 1 जनवरी 1983 थी, जबकि उन्हें भारतीय नागरिकता 30 अप्रैल 1983 को मिली। यानी नागरिकता मिलने से तीन महीने पहले ही वह मतदाता सूची में शामिल थीं।
दो बार हुआ मतदाता सूची में ‘खेल’
भाजपा नेता के अनुसार, यह साफ है कि सोनिया गांधी का नाम दो अलग-अलग मौकों पर नागरिकता की शर्त पूरी किए बिना मतदाता सूची में डाला गया। पहली बार 1980 में, जब वह इटालियन नागरिक थीं, और दूसरी बार 1983 में, जब उन्हें कानूनी रूप से भारतीय नागरिक बनने में कुछ महीने बाकी थे।
15 साल बाद ली भारतीय नागरिकता, क्यों?
मालवीय ने तंज कसते हुए कहा कि यह सवाल भी अहम है कि राजीव गांधी से शादी के बाद सोनिया गांधी को भारतीय नागरिकता स्वीकार करने में 15 साल क्यों लगे। उन्होंने कहा, “अगर यह घोर चुनावी कदाचार नहीं है, तो फिर इसे क्या कहा जाएगा?”