वोटर लिस्ट विवाद: बिहार से जुड़ी याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

वोटर लिस्ट विवाद : सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को बिहार में मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। ये याचिकाएं निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती देती हैं। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाला बागची की बेंच ने बुधवार को सामाजिक कार्यकर्ताओं अरशद अजमल और रूपेश कुमार की याचिकाएं भी स्वीकार कर लीं। इन दोनों याचिकाओं को पहले से तय याचिकाओं के साथ जोड़ दिया गया है, जिन पर गुरुवार को सुनवाई होगी। अब सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की जाएगी, जिससे कोर्ट को पूरी प्रक्रिया पर एक साथ विचार करने में आसानी होगी।

दोनों कार्यकर्ताओं ने याचिका में उठाए गंभीर सवाल

दोनों कार्यकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा कि मतदाता सूची संशोधन की प्रक्रिया में जन्म, निवास और नागरिकता से जुड़े दस्तावेजों की मनमानी और अनुचित मांग की जा रही है। यह तरीका न सिर्फ लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी करता है, बल्कि इससे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की प्रक्रिया पर भी असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था लोकतंत्र और सही प्रतिनिधित्व की मूल भावना को कमजोर करती है और आम लोगों के अधिकारों को प्रभावित कर सकती है।

मतदाता सूची विवाद पर कई और याचिकाएं दाखिल

बिहार में चुनाव से पहले वोटर लिस्ट की एसआईआर (स्पेशल रिवीजन) कराने के चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ कई विपक्षी नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की हैं। कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार गुट), शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), समाजवादी पार्टी, झामुमो, सीपीआई और सीपीआई (एमएल) के नेताओं ने एक साथ मिलकर संयुक्त याचिका दाखिल की है। इसके अलावा, राजद सांसद मनोज झा और तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं।

कांग्रेस की ओर से के.सी. वेणुगोपाल, एनसीपी से सुप्रिया सुले, सीपीआई से डी. राजा, सपा से हरिंदर सिंह मलिक, शिवसेना से अरविंद सावंत, झामुमो से सरफराज अहमद और सीपीआई (एमएल) से दीपांकर भट्टाचार्य ने भी याचिकाओं में हिस्सा लिया है। इन नेताओं का कहना है कि यह प्रक्रिया गलत है और चुनाव से पहले मतदाताओं को प्रभावित कर सकती है।