विपिन नीमा
विधानसभा चुनाव अभियान शुरू होने से लेकर नई सरकार बनने तक राजनैतिक दलों ने नेताओं, दावेदारों, प्रत्याशियों, कार्यकर्ताओं , तथा मतदाताओं को खूब इंतजार करवाया है। इंतजार की अंतिम कड़ी मंत्रियों में विभागों के बंटवारे को लेकर बची हुई है। पहले टिकट वितरण को लेकर धमासान हुआ, इसके बाद मुख्यमंत्री के दावेदारों की लम्बी सूची बन गई। फिर जीते हुए विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल करने की होड़ मची। अब मंत्रियों के बीच विभागों के बंटवारों पर नजरें लगी हुई है। संभवत शनिवार को मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा हो जाएगा। नए साल से सरकार का विधिवत कामकाज शुरू हो जाएगा
15 दिन लग गए थे टिकट वितरण में
इस पूरे चुनाव अभियान के दौरान सबसे ज्यादा खींचतान प्रत्याशियों के चयन को लेकर होती है। भाजपा और कांग्रेस के पदाधिकारी दावेदारों के नामों की सूची लेकर दिल्ली तक चक्कर लगाते रहे। लम्बा इंतजार कराने के बाद दोनों पार्टियों ने अपने अपने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किश्तो में किया।
एक सप्ताह बाद क्लियर हुआ किसे बनाया मुख्यमंत्री
चुनाव जीतने के बाद नई सरकार का मुखिया कौन होगा ये कहानी भी लम्बी चली। नए मुख्यमंत्री बनाने की पूरी कमान पार्टी हाईकमान ने संभाल रखी थी। प्रदेश में मुख्यमंत्री की दौड़ में सात नाम चल रहे थे। इन नामों पर ही खबरों की खबरे बन रही थी, टीवी चैनलों पर इन दावेदारों के अलग अलग तरीकों से इंटरव्यू बताए जा रहे थे। नाम की घोषणा को लेकर पार्टी हाईकमान ने खूब इंतजार करवाया। लम्बे इंतजार के बाद आखिरकार पार्टी हाईकमान ने ऐसे व्यक्ति के नाम का ऐलान किया जो न तो दावेदारों की सूची में था और न ही किसी ने सोचा होगा। मुख्यमंत्री के लिए डॉ मोहन यादव के नाम घोषित होते ही सभी दावेदारों के चेहरे पर निराशा छाई गई।
10 दिनों की उठापटक के बाद हुआ मंत्रिमंडल का गठन
डॉ मोहन यादव के नेतृत्व में बनी भाजपा की सरकार का मंत्रीमंडल कैसा होगा इस पर समीकरण बनना शुरू हो गया। किस किस को मंत्री पद मिलेगा। इसके लिए मुख्यमंत्री सूची लेकर भोपाल से दिल्ली तक भागा दौड़ी करते रहे। भाजपा के मुख्य कर्ताधर्ताओं की सोच सबसे अलग है। उन्होंने मंत्रियों का चयन प्रदेश को देखते हुए नहीं बल्कि आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए किया। नरेंद्र मोदी , अमित शाह और जेपी नड्डा ने हर वर्ग को ध्यान में रखते हुए मंत्री पद दिए है। जैसे ओबीसी सीटों पर वोटरों को साधने की जिम्मेदारी 13 मंत्रियों को दी गई है जो ओबीसी से आते है। इसी प्रकार सामान्य वर्ग के मतदाताओं को साधने की जिम्मेदारी 8 मंत्रियों के पास है। जबकि एससी और एसटी वर्ग के मतदाताओं की जिम्मेदारी 11 मंत्रियों को दी गई है।
आज पता चल जाएगा किस मंत्री के पास कोन सा विभाग होगा
चुनाव जीतने के बाद , मुख्यमंत्री बनाया, फिर मंत्रियों को चुना अब अंतिम कड़ी मंत्रियों के विभागों के बंटवारा है। मंत्रीमंडल के गठन हुए एक सप्ताह बित चुका है, लेकिन मंत्रियों के बीच अभी तक विभागों का बंटवारा नहीं हुआ है। विभागों के बंटवारे को लेकर तरह तरह के चर्चाएं हो रही है की मलाईदार विभाग किसके पास होंगे। हर कोई मंत्री यह कयास लगाकर बैठे है की उन्हें मलाईदार विभाग मिल जाएं। यह फैसला भी हाईकमान को करना है। फिलहाल सभी इसी इंतजार में है की किसको कौन सा विभाग मिलेगा। शनिवार की दोपहर तक इस संस्पेस से पर्दा उठ जाएंगा।