Water Resources Department में गड़बड़झाला, कंपनी पहले ब्लैकलिस्ट, फिर क्लीनचिट

सीताराम ठाकुर, भोपाल

छिंदवाड़ा कॉम्लेक्स निर्माण में ठेका लेने वाली मेसर्स मेंटना इन्फ्रासेल हैदराबाद की कंपनी को करीब 1500 करोड़ का एडवांस में जल संसाधन विभाग ( Water Resources Department ) द्वारा भुगतान करने सहित रीवा आदि कार्यों में 3 हजार करोड़ से अधिक का पेमेंट लेने के बाद भी काम शुरू नहीं करने पर कंपनी को क्लैकलिस्ट किया गया। बाद में अफसरों की मिलीभगत के चलते कंपनी को क्लीनचिट दे दी गई और अब उसे चितावन तथा सीतापुर हनुमना प्रोजेक्ट 5 हजार करोड़ से अधिक में कराने का ठेका दे दिया गया है।

Water Resources Department ने की भुगतान में अनियमितता

तत्कालीन कमलनाथ सरकार के समय छिंदवाड़ा कॉम्लेक्स प्रोजेक्ट मंजूर किया गया था। यह कार्य करीब 6 हजार करोड़ में पूरा कराया जाना है। इसका ठेका जल संसाधन विभाग ( Water Resources Department  ) ने तत्कालीन समय में मेंटना इन्फ्रासेल को दिया था। अफसरों की मिलीभगत के चलते काम शुरू किए बिना ही कंपनी को 500 करोड़ रुपए एडवांस भुगतान कर दिया गया। इस गडबड़झाले को उठाने वाले छिंदवाड़ा के भाजपा जिला अध्यक्ष एवं वर्तमान सांसद बंटी साहू के आरोपों के बाद सरकार ने मेंटना कंपनी को क्लैकलिस्ट कर दिया। बाद में इसे क्लीनिचट देकर एक हजार करोड़ का फिर एडवांस भुगतान कर दिया गया। वहीं, इस मामले को विधायक दिनेश राय मुनमुन ने विधानसभा में 15 मार्च 2021 को उठाया था। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि हैदराबाद की मेंटना कंस्ट्रक्शन कंपनी को ज्वाइंट वैंचर में जल संसाधन विभाग द्वारा भुगतान में अनियमितता की शिकायतों की जांच कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए।

ईओडब्ल्यू में दर्ज है मामला…काम के पहले कर दिया था पेमेंट

जानकारी के अनुसार, जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता रहे राजीव कुमार सुकलीकर के कार्यकाल में 7 सिंचाई परियोजनों के लिए मेंटना सहित अन्य ठेकेदारों को 3333 करोड़ रुपए का कार्य पूर्व भुगतान कर दिया था। बाद में सरकार बदलने पर इस मामले में ईओडब्यू में शिकायत दर्ज की गई। ईओडब्ल्यू ने शिकायत की जांच के आधार पर ठेकेदारों को 3333 करोड़ रुपए का कार्य पूर्व भुगतान करने के मामले में तत्कालीन प्रमुख अभियंता राजीव सुकलीकर, मुख्य अभियंता शरद श्रीवास्तव और तत्कालीन अधीक्षण यंत्री एवं प्रभारी मुख्य अभियंता शिरीष मिश्रा के खिलाफ जालसाजी एवं धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज किया था। ईओडब्ल्यू ने शुरूआती जांच में तीनों को आरोपी बनाया और ठेकेदारों को समयपूर्व भुगतान करने के मामले में संलिप्तता पाई। जांच एजेंसी ने प्रकरण से अचानक शिरीष मिश्रा का नाम हटा दिया। मोहन सरकार ने करीब छह महीने पहले सेवानिवृत्त हो चुके अधीक्षण यंत्री शिरीष मिश्रा को संविदा नियुक्ति देकर प्रमुख अभियंता बना दिया है। इधर, सरकार ने राजीव सुकलीकर के खिलाफ अभियोजन की अनुमति भी दे दी है।

संयुक्त कंपनी को दिए दो बड़े प्रोजेक्ट

सूत्र बताते है कि हैदराबाद की मेंटना इन्फ्रासेल प्रायवेट लिमिटेड ने मप्र में तीन कंपनियां रजिस्ट्रर करवा रखी हैं। यदि एक कंपनी किसी मामले में फंसती है तो दूसरी कंपनी के नाम पर ठेका ले लिया जाता है और ऐसा ही उसने पार्टनरशिप में काम लेकर किया है। जल संसाधन विभाग ने 11 सितंबर को जारी आदेश में टर्न-की पद्धति पर शिप्रा नदी पर चितावन परियोजना के तहत बांध निर्माण एवं प्रेशराइज्ड प्रणाली का ठेका मेसर्स एचईएस इंफ्रा हैदराबाद, इसमें कंपनी की 55 प्रतिशत भागीदारी तथा मेंटना इन्फ्रासेल की 45 प्रतिशत भागीदारी का काम 1335 करोड़ 82 लाख रुपए में आवंटित किया है। इन्हीं दोनों कंपनियों को सीतापुर हनुमना सिंचाई परियोजना अंतर्गत बीरबल बैराज एवं दाबयुक्त सिंचाई प्रणाली विकसित करने का ठेका 3 हजार 979 करोड़ में दिया गया है। यानि मप्र में घोटालों में शामिल कंपनी को बडेÞ-बडेÞ प्रोजेक्ट धड़ल्ले से दिए जा रहे हैं। इस मामले में जल संसाधन विभाग के मंत्री तुलसीराम सिलावट से बात करनी चाही, लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी।