मांग के सिन्दूर की कीमत हम जानते हैं…कातिलों लो तुम्हारी मांद में मिसाइल तानते हैं…

प्रखर – वाणी

जिन्होंने उजाड़ा हिन्दू बेटियों की मांग का सिन्दूर…उनको सबक सिखाने को सफल रहा ऑपरेशन सिन्दूर…हमारे वतन की आन – बान – शान की खातिर…हमारे मुल्क के स्वाभिमान की खातिर…सुन लो पाक सदा सबक गहरा सिखाएंगे…तुम्हारे घर में घुसकर तुमको आईना दिखाएंगे…क्या सोचते थे कि खून खच्चर से भारत डर जाएगा…निर्दोषों को मौत का फरमान दिया तो सिहर जाएगा…अपनी इस फिजूल व घटिया सोच को पुड़िया बनाकर रख लेना…ये नया भारत है जरा इसके छप्पन इंच का स्वाद चख लेना…तुम्हारी मांद में घुसकर मारेंगे…

कातिलों को हम मौत के घाट उतारेंगे…आतंक मचाने वालों दनदनाती दुनालियों की भाषा हमको भी आती है…हिंसा ही हिंसा का दर्दनाक मंजर दिखाती है…हम विकास के पथ पर जरूर बढ़ रहे लेकिन कायर नहीं…ये स्वाभिमानी सरकार है यहां रेडियो पर कहते सीज फायर नहीं…तुमने घिनौनी हरकत करके हिंदुओं को धर्म पूछकर मारा है…भगोड़ों अब घबरा रहे हो पहले तो तुमने घटना को करना स्वीकारा है…तुम्हारी थर थर कांपती रूहें हमारी फौज देखकर घबराती है…खुद के गिरेबान में झांक कर देखो सपने में भी तुम्हारी सांसें चौंक जाती है..

तुम्हारी गजवा – ए – हिन्द की चाहत को हमारी ताकत नाकाम कर देगी…सेना ने थोड़ी भी चढ़ाई की न तो पल भर में पीओके भारत के नाम कर देगी…अभी तो हमने केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया है…दूर से ही मिसाइलों का जुनून दिखाया है…बहावलपुर , मुरीदके , गुलपुर , सवाई , बिलाल , कोटली , बरनाला , सरजाल , मेहमूना इन नौ ठिकानों को ही तबाह किया है…तुम्हारे अनेक शागिर्दों ने उफ्फ , ओह बोलकर दर्द भरा कराह दिया है…मांग के सिन्दूर की कीमत हम जानते हैं…कातिलों लो तुम्हारी मांद में मिसाइल तानते हैं…

तुम बौखलाकर भाग रहे हो इधर उधर…हाफिज तो क्या हाफिज की औलाद भी अब जाएगी किधर…चुन चुनकर हम बोटियाँ नोंच देंगे…पाताल में घुसकर भी जालिमों दबोच लेंगे…तुमने बकरी का दूध पीकर मिमियाने की हरकत की है…हम सिंघों की संतानें है ये तो सिर्फ दहाड़ दी है…गर्जना से ही तुम हिलजाओगे…आतंकवाद का नाम भी भूल जाओगे…अभी तो हमने सिर्फ प्रतिकार किया है प्रहार नहीं…दहशतगर्दों ये तो गूंज है कोई नरसंहार नहीं…अबकी वार किया तो सबक गहरा सिखलायेंगे…इतिहास के पन्ने पलटना तुमको अब्बू याद आएंगे…अपने घर में नागों को पनाह देने वालों…खौफ में खुजलाती जूओं भरी दाढ़ी के बालों…

ये नाग ही जहर उगलकर तुमको डस जाएंगे…तुम्हारे जर्रे जर्रे में ये नासूर एक दिन बस जाएंगे…तुम अपनी खाई खुद खोदने का जतन कर रहे हो…अपने ही घर में अपनी ही कब्र का कफ़न भर रहे हो…हमने धैर्य रखा , संयम से काम लिया…तुमको जवाब देंगे इसका एलान कर पैगाम दिया…पंद्रह दिन में ही तुम्हारे जिस्म की खाल हिला दी…तुम ये मत सोचना की हमने पहलगाम की घटना भूला दी…अभी तो ये अंगड़ाई है आतंकियों के खिलाफ लड़ाई है…मौत तुम्हारे मस्तक पर मंडराई है एक तरफ कुआ एक तरफ खाई है…कांपती फिरेगी अब तुम्हारी परछाई है…याद आने लगेगी हर पल तुमको माई है…ये संघर्ष सिर्फ रक्षा का नहीं स्वाभिमान का है…बदला भी धर्म देखकर किये गए अपमान का है..