शंख ध्वनि में, सूर्य को अर्घ्य देकर मनाएंगे गुड़ी पड़वा, संतों का लेंगे आशीर्वाद

मां अहिल्या की पवित्र नगरी इंदौर में परंपराओं और सांस्कृतिक समृद्धि के साथ गुड़ी पड़वा का अनूठा आयोजन होने जा रहा है। संस्था सार्थक और हिंदू नववर्ष आयोजन समिति द्वारा इस बार के आयोजन में न सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान, बल्कि सांस्कृतिक प्रदर्शन का भी विशेष ध्यान रखा गया है। यह भव्य आयोजन रविवार, 30 मार्च को सुबह 6:15 बजे, बड़ा गणपति चौराहे पर होगा, जहां पारंपरिक लोक नृत्य, वैदिक मंत्रोच्चार और शंख ध्वनि के बीच सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा।

संस्कारों और समाजसेवा की है परंपरा

आयोजन के प्रमुख दीपक जैन “टीनू”, जो भाजपा प्रदेश के सह मीडिया प्रभारी और पूर्व पार्षद हैं, ने बताया कि इंदौर एक ऐसी धरती है जहां संस्कारों और समाजसेवा की परंपरा को हमेशा सम्मान दिया जाता है। खास बात यह है कि यह आयोजन इस साल मां अहिल्या की 300वीं जयंती के अवसर पर हो रहा है। यह हिंदू नववर्ष अभिनंदन का दसवां आयोजन है, जिसमें सामूहिक सूर्य अर्घ्य, लोकगीत और लोकनृत्य को प्रमुख रूप से शामिल किया जाता है ताकि नई पीढ़ी को पौराणिक और शास्त्रीय परंपराओं से अवगत कराया जा सके।
कार्यक्रम के संयोजक अंकित रावल और गौरव नाहर ने बताया कि इस अवसर पर नवरात्रि के पहले दिन कन्या पाद पूजन, समाजसेवियों और युवा प्रतिभाओं का सम्मान, और प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना दमयंती मिरदवाल द्वारा सूर्य आराधना और माता अहिल्या के नौ स्वरूपों पर नृत्य प्रस्तुति दी जाएगी। साथ ही, बहनें शस्त्र कला का भी प्रदर्शन करेंगी।

युवा भगवा साफा पहनकर होंगे शामिल

संस्था के अध्यक्ष नितेश मुछाल और सचिव विवेक जैन ने बताया कि इस समारोह का उद्देश्य वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांत को आगे बढ़ाना है, जिसमें पूजनीय संतों और जनमानस का सानिध्य भी मिलेगा। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में युवा भगवा साफा पहनकर अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करेंगे और आयोजन स्थल को भगवा ध्वजों से सजाया जाएगा। साथ ही, गुड़ी, धनिया और नीम मिश्री का वितरण भी किया जाएगा।

सूर्य देवता को करेंगे जल अर्पित

इस आयोजन में बटुकों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार और शंख ध्वनि के साथ सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नववर्ष के दिन सूर्य देवता को जल अर्पित करने से व्यक्ति की आत्मा और मन को अपार ऊर्जा मिलती है, जो उसे जीवनभर सौभाग्य देती है। यह धार्मिक, ज्योतिष और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत लाभकारी माना गया है।
इस उत्सव के माध्यम से संस्था सार्थक एक बार फिर इंदौर की सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक परंपराओं को न केवल संरक्षित करने, बल्कि उन्हें और भी प्रगति और विस्तार देने की दिशा में एक नया कदम बढ़ा रही है।