Weather Update: तमिलनाडु सहित इन 18 राज्यों में होगी झमाझम बारिश, IMD ने जारी किया अलर्ट, मौसमी बीमारियों ने बढ़ाई चिंता

Weather Update: तमिलनाडु में पिछले कुछ दिनों से हो रही भारी बारिश के बीच क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र (RMC) ने शनिवार (16 नवंबर) और रविवार (17 नवंबर) के लिए राज्य के 18 जिलों में येलो अलर्ट जारी किया है। चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र के कारण दक्षिण तमिलनाडु और उसके आसपास के इलाकों में भारी बारिश की संभावना बनी हुई है।

जिन जिलों में भारी बारिश की चेतावनी दी गई है, वे हैं

कन्याकुमारी, थूथुकुडी, तिरुनेलवेली, रामनाथपुरम, तेनकासी, विरुधुनगर, मदुरै, थेनी, डिंडीगुल, शिवगंगा, पुदुकोट्टई, तंजावुर, तिरुवरुर, नागापट्टिनम, मयिलादुथुराई, कुड्डालोर, विल्लुपुरम, और चेंगलपट्टू। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि चक्रवातीय हवाओं का प्रभाव अगले कुछ दिनों तक बने रहने की संभावना है, जिससे इन क्षेत्रों में भारी बारिश हो सकती है। प्रशासन ने जलभराव और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सतर्कता बरतने और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर रहने की सलाह दी है।

गरज और बिजली के साथ होगी बारिश

मौसम विभाग ने तमिलनाडु के बाकी हिस्सों में अगले कुछ दिनों में गरज और बिजली के साथ हल्की से मध्यम बारिश की संभावना जताई है। चेन्नई में आसमान आंशिक रूप से बादलों से घिरा रहेगा। विशेष रूप से शाम और रात के समय शहर के कुछ हिस्सों में मध्यम बारिश हो सकती है।

मौसम का अनुमान

•राज्य के दक्षिणी जिलों में भारी बारिश के साथ अन्य इलाकों में सामान्य से मध्यम बारिश की स्थिति बनी रहेगी।
•चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र सक्रिय है, जिससे तमिलनाडु के कई हिस्सों में बारिश का सिलसिला जारी रहेगा।
लोगों को सलाह दी गई है कि खराब मौसम के दौरान सतर्क रहें और सुरक्षित स्थानों पर रहें। चेन्नई जैसे शहरी इलाकों में जलभराव की स्थिति से बचने के लिए स्थानीय प्रशासन ने भी तैयारियां की हैं।

22 नवंबर से भारी बारिश की चेतावनी

क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र (आरएमसी) ने चेन्नई, तिरुवल्लूर, चेंगलपट्टू और कांचीपुरम सहित उत्तरी तटीय जिलों में 22 से 28 नवंबर तक भारी बारिश का अनुमान लगाया है। इस अवधि के दौरान इन क्षेत्रों में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है।

मुख्य पूर्वानुमान

•उत्तरी तटीय जिलों में चक्रवातीय हवाओं और पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव के कारण बारिश की तीव्रता बढ़ सकती है।
•राज्य के बाकी हिस्सों में इस अवधि में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है।

प्रभाव और तैयारियां

•उत्तरी तटीय जिलों में जलभराव और बाढ़ जैसी स्थितियों की आशंका है।
•प्रशासन ने संबंधित क्षेत्रों में सतर्कता बढ़ाने और आवश्यक बचाव कार्यों के लिए तैयारी करने के निर्देश दिए हैं।
•लोगों को बारिश के दौरान अनावश्यक यात्रा से बचने और स्थानीय प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करने की सलाह दी गई है।

इस अवधि के दौरान विशेष रूप से शहरी इलाकों में ट्रैफिक और जलभराव की समस्या हो सकती है, जिससे सतर्क रहना आवश्यक होगा।

कोयंबटूर में सबसे अधिक 418 मिमी बारिश

1 अक्टूबर से 15 नवंबर तक तमिलनाडु में पूर्वोत्तर मानसून के दौरान औसतन 276 मिमी बारिश दर्ज की गई। इस अवधि में कोयंबटूर सबसे आगे रहा, जहां 418 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य से 67 प्रतिशत अधिक है।

मुख्य तथ्य

•चेन्नई समेत 17 जिलों में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई।
•राज्य के शेष जिलों में बारिश का स्तर सामान्य से कम रहा।

कोयंबटूर का प्रदर्शन

कोयंबटूर में रिकॉर्ड बारिश ने राज्य का औसत बढ़ाया है। यह क्षेत्र सामान्य स्तर से काफी अधिक बारिश के कारण अन्य जिलों की तुलना में विशेष रहा।

प्रभाव

•जिन जिलों में अधिक बारिश हुई, वहां जलभराव और बाढ़ जैसी समस्याएं देखने को मिलीं।
•कम बारिश वाले जिलों में जल संसाधनों की स्थिति पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी।

पूर्वोत्तर मानसून के शेष दिनों में भी राज्य में बारिश के उतार-चढ़ाव बने रहने की संभावना है, जिससे क्षेत्रीय असमानता पर नजर रखने की जरूरत है।

भारी बारिश के कारण बिजली की खपत में आई कमी

मानसून के प्रभाव के कारण तमिलनाडु में बिजली की खपत में उल्लेखनीय कमी देखी जा रही है। तमिलनाडु जनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी (TANGEDCO) के अनुसार, राज्य में दैनिक बिजली की खपत 1 अक्टूबर को 380 मिलियन यूनिट थी, जो अब घटकर 302 मिलियन यूनिट हो गई है।

कारण

1.मानसून की सक्रियता: भारी बारिश के चलते तापमान में गिरावट आई है, जिससे पंखों, एयर कंडीशनर और अन्य ठंडक देने वाले उपकरणों का उपयोग कम हो गया है।
2.कृषि गतिविधियों में बदलाव: बारिश से सिंचाई में बिजली पर निर्भरता कम हुई है।
3.घरेलू और औद्योगिक खपत में कमी: बारिश के कारण औद्योगिक और व्यावसायिक गतिविधियां भी प्रभावित हो सकती हैं।

पिछले रुझान

•सितंबर में: बिजली की खपत 400 मिलियन यूनिट प्रतिदिन से अधिक थी, क्योंकि मानसून की तीव्रता कम थी और गर्मी अधिक थी।
•अक्टूबर में: बारिश के बढ़ने के साथ खपत में गिरावट शुरू हुई।

यह आंकड़े मानसून के बिजली खपत पर पड़ने वाले प्रभाव को दर्शाते हैं, जो मौसमी बदलावों के साथ बदलती ऊर्जा आवश्यकताओं को उजागर करते हैं।