! मध्य प्रदेश में ये क्या हो रहा है? दतिया में तिरपाल के नीचे हुआ महिला का अंतिम संस्कार, सरकार के दावों की खुली पोल!

मध्य प्रदेश के दतिया जिले से एक दर्दनाक और शर्मनाक तस्वीर सामने आई है, जो विकास के बड़े-बड़े दावों की हकीकत दिखाती है। जिले के भांडेर ब्लॉक के मुरिया गांव में एक महिला की मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार बारिश के बीच तिरपाल के नीचे किया गया। यह घटना ना केवल सिस्टम की लापरवाही दिखाती है, बल्कि यह भी बताती है कि आजादी के 78 साल बाद भी गांवों की बुनियादी जरूरतें पूरी नहीं हो पाई हैं।

बारिश में तिरपाल ही बना सहारा

मुरिया गांव की अवध कुंवर नामक महिला का निधन हो गया था। जब परिवारजन और गांव वाले उनका अंतिम संस्कार करने पहुंचे, उसी दौरान तेज बारिश शुरू हो गई। बारिश के कारण चिता जलाने में दिक्कत आई और अंतिम संस्कार रोकना पड़ा। ऐसे में ग्रामीणों ने एक अस्थायी ढांचा तैयार कर तिरपाल लगाया, ताकि चिता भीगने से बचाई जा सके। खुद ग्रामीण भीगते रहे लेकिन किसी तरह अंतिम संस्कार पूरा किया।

ना श्मशान घाट, ना छत, कैसी तरक्की?

इस गांव में ना तो पक्की छत वाला मुक्ति धाम है और ना ही श्मशान घाट की कोई व्यवस्था। ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के समय में अगर किसी की मौत हो जाती है, तो तिरपाल या बरसाती कपड़े ही उनका एकमात्र सहारा होता है। चौंकाने वाली बात यह है कि गांव आजादी के 78 साल बाद भी इस मूलभूत सुविधा से वंचित है।

पंचायत से लेकर सरकार तक बेपरवाह?

गांववालों ने कई बार ग्राम पंचायत और प्रशासन से गुहार लगाई है कि एक पक्का मुक्ति धाम बनवाया जाए, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई। जब इस संबंध में ग्राम पंचायत सचिव से पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि मुक्ति धाम के लिए एस्टीमेट बनाया गया है, लेकिन अब तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है।

जनता की मांग: कब मिलेगा सम्मानपूर्वक विदाई का हक?

ग्रामीणों की सिर्फ एक मांग है – बरसात हो या धूप, हर किसी को अंतिम विदाई सम्मान से मिलनी चाहिए। तिरपाल में भीगते हुए अंतिम संस्कार करना किसी भी समाज के लिए दुखद है। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या मुरिया गांव को जल्द ही एक पक्का मुक्ति धाम मिलेगा या नहीं।