श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर क्या करें और किन बातों से बचें? जानिए सभी अहम नियम

Janmashtami 2025: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख और पवित्र त्योहार है, जो भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व पूरे भारत में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है, खासतौर से मथुरा और वृंदावन में। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं और रात 12 बजे भगवान के जन्म का उत्सव मनाते हैं।

जन्माष्टमी का व्रत बेहद फलदायी माना जाता है, लेकिन इसे सही तरीके और नियमों के साथ करना जरूरी है। आइए जानते हैं इस दिन क्या करना चाहिए और किन बातों से बचना चाहिए।

व्रत के दिन क्या करें

जन्माष्टमी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठना शुभ माना जाता है। स्नान करके साफ और स्वच्छ वस्त्र पहनें, संभव हो तो पीले रंग के कपड़े धारण करें क्योंकि यह भगवान कृष्ण का प्रिय रंग है। स्नान के बाद पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। पूजा से पहले व्रत का संकल्प लें। हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर भगवान से आशीर्वाद मांगें कि आप यह व्रत उनकी कृपा प्राप्ति के लिए कर रहे हैं।

पूजा की तैयारी में भगवान कृष्ण की मूर्ति या बाल गोपाल स्वरूप को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से स्नान कराएं। चंदन, कुमकुम, अक्षत, तुलसी दल, मोरपंख, बांसुरी और माखन-मिश्री अर्पित करें। कमल और तुलसी के पत्तों से पूजा को विशेष बनाएं। दिनभर ‘हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे’ महामंत्र का जाप करें, भजन-कीर्तन गाएं और जन्माष्टमी की कथा पढ़ें या सुनें।

मध्यरात्रि में भगवान के जन्म के समय शंख और घंटियां बजाकर उनका स्वागत करें, झूला झुलाएं, आरती करें और भोग लगाएं। व्रत का पारण रात्रि 12 बजे के बाद ही करें और इस दौरान भगवान के बाल गोपाल स्वरूप को अकेला न छोड़ें।

व्रत के दिन क्या न करें

जन्माष्टमी के दिन तामसिक भोजन जैसे लहसुन, प्याज और मांसाहार से परहेज करें। शराब और धूम्रपान से पूरी तरह दूर रहें। अनाज जैसे चावल, गेहूं और दालों का सेवन न करें। इस दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना निषेध है, अगर पूजा के लिए तुलसी की आवश्यकता हो तो एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें।

इसके अलावा, इस दिन किसी का अपमान न करें, किसी को दुख न पहुंचाएं और क्रोध या झगड़े से बचें। जन्माष्टमी का दिन भक्ति, संयम और सकारात्मक ऊर्जा में बिताना सबसे शुभ माना जाता है।

Disclaimer : यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। स्वतंत्र समय इसकी प्रामाणिकता या वैज्ञानिक पुष्टि का समर्थन नहीं करता है।