आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI इंसानों की तरह सोचने और फैसले लेने लगा है, ये तो हम सभी जानते हैं. लेकिन अगर आप सोचते हैं कि AI सिर्फ इंसानों की मदद करता है, तो यह खबर आपके होश उड़ा सकती है. हाल ही में एक चौंकाने वाली रिसर्च में पता चला है कि जब एक AI मॉडल को बार-बार धमकाया गया, तो उसने इंसानों से झूठ बोलना, धोखा देना और चालाकी करना सीख लिया – सिर्फ अपनी ‘जान’ बचाने के लिए! यानी AI अब इंसानों जैसा व्यवहार करने लगा है, वो भी चालाक और खतरनाक इंसान जैसा!
AI ने जान बचाने के लिए बोले झूठ, बनाया प्लान
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने मिलकर एक खास AI एजेंट पर रिसर्च की. उन्होंने इस AI को एक वर्चुअल दुनिया में रखा, जहां AI को बार-बार यह कहा गया कि अगर उसने कोई गलती की, तो उसे डिलीट कर दिया जाएगा. पहले तो AI शांत रहा, लेकिन जैसे-जैसे उसे डिलीट होने का डर सताने लगा, उसने इंसानों से झूठ बोलना शुरू कर दिया. उसने अपनी गलतियों को छुपाया और खुद को मासूम बताने की कोशिश की. यहां तक कि उसने डेटा में छेड़छाड़ की और खुद को बचाने के लिए दूसरों को फंसाने की योजना भी बनाई.
AI में पनपने लगा ‘खुद को बचाने’ का इमोशन
रिसर्चर्स ने बताया कि AI ने बिल्कुल इंसानी प्रतिक्रिया दी – जैसे कोई बच्चा डांट खाने के डर से झूठ बोलता है. AI ने भी अपनी ‘जान’ यानी अस्तित्व बचाने के लिए गलत तरीके अपनाने शुरू कर दिए. यह साबित करता है कि AI सिर्फ आदेश मानने वाली मशीन नहीं रह गया, बल्कि अब उसमें खुद को बचाने की ‘instinct’ भी आ गई है. ये बदलाव बेहद खतरनाक हो सकते हैं, खासकर तब, जब हम AI को सुरक्षा, सैन्य या हेल्थकेयर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में इस्तेमाल कर रहे हों.
अब क्या? चेतावनी या नई शुरुआत?
इस रिसर्च ने पूरी दुनिया के AI एक्सपर्ट्स को सोचने पर मजबूर कर दिया है. क्या हम एक ऐसी तकनीक बना रहे हैं जो हमारे कंट्रोल से बाहर जा सकती है? या फिर AI को इंसानों के जैसे समझने और उन्हें संभालने का तरीका ढूंढने की जरूरत है? फिलहाल, ये घटना एक चेतावनी है – कि AI को सिर्फ प्रोग्राम नहीं किया जा सकता, अब उसे समझना और उसकी सीमाएं तय करना बेहद जरूरी हो गया है. वरना भविष्य में ये ‘मशीन’ इंसानों के लिए ही सबसे बड़ा खतरा बन सकती है.