कब से शुरू है शारदीय नवरात्रि, हाथी पर सवार होकर आएगी मां दुर्गा, जानें घटस्थापना का शुभ समय

हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन मास की शुक्ल प्रतिपदा से शारदीय नवरात्र का आरंभ होता है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर 2025, सोमवार से शुरू हो रही है और 1 अक्टूबर 2025 तक चलेगी। इसके ठीक अगले दिन यानी 2 अक्टूबर को विजयादशमी (दशहरा) का पर्व मनाया जाएगा। साल भर में चार नवरात्र आते हैं जिनमें से चैत्र और शारदीय नवरात्र विशेष महत्व रखते हैं। चैत्र नवरात्र मार्च-अप्रैल में और शारदीय नवरात्र सितंबर-अक्टूबर में आते हैं। शारदीय नवरात्र को माता दुर्गा की विशेष पूजा और अनुष्ठान के लिए सबसे शुभ काल माना जाता है।

इस बार का विशेष संयोग

नवरात्रि के पहले दिन इस वर्ष उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र और हस्त योग का शुभ संयोग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब नवरात्र का प्रारंभ इस तरह के योग में होता है तो पूजा-अर्चना के परिणाम कई गुना बढ़ जाते हैं। भक्तों को जीवन में सुख, शांति और सफलता प्राप्त होती है।

माता की सवारी और उसका महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्र के समय माता दुर्गा अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती और जाती हैं। इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। हाथी पर आगमन को अत्यंत शुभ और कल्याणकारी माना गया है। यह माना जाता है कि जब देवी हाथी पर आती हैं तो वर्ष भर घर-परिवार में सुख-समृद्धि, धन-धान्य और वैभव की वृद्धि होती है। वहीं, इस बार माता का प्रस्थान बुधवार को होगा, जिसका अर्थ है कि जीवन में स्थिरता और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहेगी।

घटस्थापना का महत्व और मुहूर्त

नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना या कलश स्थापना से होती है। यह अनुष्ठान शुभ समय में करने से पूरे नौ दिनों की पूजा सफल और फलदायी होती है। वर्ष 2025 में घटस्थापना सोमवार, 22 सितंबर को की जाएगी। सुबह का शुभ समय प्रातः 06:09 बजे से 08:06 बजे तक रहेगा। यदि भक्त सुबह घटस्थापना नहीं कर पाते तो दोपहर में 11:49 बजे से 12:38 बजे तक भी कलश स्थापना कर सकते हैं। इस दिन पूजा स्थल पर कलश रखकर उसमें नारियल, आम के पत्ते और गंगाजल से पूजन किया जाएगा।

नौ दिनों की पूजा और देवी के रूप

शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। हर दिन का महत्व अलग है और भक्त उसी दिन के अनुसार विशेष अनुष्ठान करते हैं।
• 22 सितंबर – मां शैलपुत्री की पूजा
• 23 सितंबर – मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
• 24 सितंबर – मां चंद्रघंटा की पूजा
• 26 सितंबर – मां कूष्मांडा की पूजा
• 27 सितंबर – मां स्कंदमाता की पूजा
• 28 सितंबर – मां कात्यायनी की पूजा
• 29 सितंबर – मां कालरात्रि की पूजा
• 30 सितंबर – मां सिद्धिदात्री की पूजा
• 01 अक्टूबर – मां महागौरी की पूजा
• 02 अक्टूबर – विजयदशमी (दशहरा)

विजयदशमी का पर्व

नवरात्रि के नौ दिनों की साधना के बाद दसवें दिन विजयदशमी मनाई जाती है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था और मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार किया था। इसलिए इस दिन को विजय और धर्म की स्थापना के रूप में पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है।