साल 2025 में जनवरी का पहला ग्रहण कब लगेगा, जानिए किन देशों में पड़ेगा इसका असर

साल 2024 अब खत्म होने की ओर है, और इसके साथ ही 2025 की नई शुरुआत होने वाली है। नए साल के साथ कई महत्वपूर्ण खगोलीय घटनाएं भी देखने को मिलेंगी, जिनमें ग्रहण प्रमुख हैं। हिंदू धर्म में ग्रहण को विशेष महत्व दिया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के समय विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और कई परंपराओं का पालन किया जाता है। अगर आप भी ग्रहण की तारीखों को लेकर उत्सुक हैं, तो यहां जानिए कि साल 2025 में ग्रहण कब और कहां लगेगा।

साल 2025 में कुल 4 ग्रहण होंगे

साल 2025 में कुल 4 ग्रहण देखने को मिलेंगे, जिनमें 2 सूर्य ग्रहण और 2 चंद्र ग्रहण शामिल हैं। इनमें से पहला ग्रहण चैत्र नवरात्रि से एक दिन पहले पड़ेगा। ग्रहण की तिथियों को जानना न केवल खगोलीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि धार्मिक परंपराओं और सावधानियों के लिए भी जरूरी है।

पहला सूर्य ग्रहण: 29 मार्च 2025

साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च को लगेगा। यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। पंचांग के अनुसार, यह ग्रहण चैत्र कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर घटित होगा। हालांकि, भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा।

सूर्य ग्रहण का समय

  • शुरुआत: दोपहर 2:21 बजे
  • समापन: शाम 6:14 बजे

किन देशों में दिखाई देगा सूर्य ग्रहण?

29 मार्च 2025 को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में तो दिखाई नहीं देगा, लेकिन यह कई अन्य देशों में देखा जा सकेगा। इनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:

  • यूरोप: ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, नॉर्वे, पोलैंड, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, यूक्रेन।
  • अमेरिका: अमेरिका का पूर्वी भाग और कनाडा का पूर्वी क्षेत्र।
  • दक्षिण अमेरिका: उत्तरी ब्राज़ील और सूरीनाम।
  • अन्य देश: मोरक्को, ग्रीनलैंड, फिनलैंड, हंगरी, लिथुआनिया, बरमूडा, बारबाडोस।

क्या लगेगा सूतक काल?

धार्मिक दृष्टि से, ग्रहण के दौरान सूतक काल का विशेष महत्व होता है। लेकिन सूतक केवल तभी मान्य होता है, जब ग्रहण संबंधित क्षेत्र में दिखाई देता है। चूंकि 29 मार्च 2025 का सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा।

हिंदू धर्म में ग्रहण का महत्व

हिंदू धर्म में ग्रहण को लेकर कई परंपराएं और नियम प्रचलित हैं। ग्रहण के समय अक्सर:

  • पूजा-पाठ बंद कर दिया जाता है।
  • खाना बनाने और खाने से परहेज किया जाता है।
  • ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान और पवित्र जल छिड़कने की परंपरा है।