देश की सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइन इंडिगो पिछले कुछ दिनों से भारी अव्यवस्था का सामना कर रही है। बीते 20 सालों में ऐसा संकट पहली बार देखने को मिला है, जब लगातार कई दिनों तक देश के प्रमुख एयरपोर्ट्स—दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु और हैदराबाद—पर यात्रियों की लंबी लाइनें लगी रहीं और फ्लाइट कैंसिलेशन व देरी ने लोगों को परेशान कर दिया। 2 दिसंबर से शुरू हुआ यह संकट 5 दिसंबर तक भी थम नहीं पाया। रिपोर्ट्स के मुताबिक अब तक तकरीबन 400 से अधिक उड़ानें रद्द हो चुकी हैं और हजारों यात्रियों की योजना अस्त-व्यस्त हो गई है।
कैसे शुरू हुआ इंडिगो का संकट?
2 दिसंबर को दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में यात्रियों ने फ्लाइट्स की अचानक देरी की शिकायतें कीं। शुरुआती कारण मौसम में कम दिखाई देना और ऑपरेशनल चुनौतियाँ बताए गए। परन्तु 3 दिसंबर को स्थिति और बिगड़ गई, जब तकनीकी खराबी ने कई एयरपोर्ट्स के चेक-इन सिस्टम को ठप कर दिया। इसके चलते इंडिगो की 70 से ज्यादा उड़ानें सिर्फ बेंगलुरु और मुंबई में ही रद्द करनी पड़ीं। एयरलाइन ने माफी मांगते हुए कहा कि भारी भीड़, तकनीकी गड़बड़ियों और ऑपरेशनल जरूरतों ने सिस्टम को प्रभावित किया है।
तीन दिन लगातार बढ़ती गई अव्यवस्था
4 दिसंबर को इंडिगो की स्थिति सबसे खराब हो गई, जब 180 से अधिक उड़ानें कैंसल हुईं और कई घंटों की देरी से उड़ान भरने लगीं। DGCA ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए एयरलाइन से विस्तृत रिपोर्ट माँगी। इंडिगो के CEO पीटर एल्बर्स ने स्वीकार किया कि एयरलाइन अपने ग्राहकों से किए गए वादों को पूरा नहीं कर पाई है और टीम की प्राथमिकता अब ऑपरेशंस को दोबारा पटरी पर लाना है।
5 दिसंबर को हालात कुछ और बिगड़े, क्योंकि देशभर में लगभग 400 उड़ानें रद्द हुईं। दिल्ली एयरपोर्ट पर अकेले 16,500 से अधिक यात्रियों की यात्रा प्रभावित हुई। DGCA ने 8 दिसंबर से इंडिगो को अपने ऑपरेशंस घटाने के निर्देश दिए हैं ताकि सिस्टम पर दबाव कम हो सके।
क्यों हुआ इतना बड़ा ऑपरेशनल ब्रेकडाउन?
इंडिगो ने जो रिपोर्ट मंत्रालय को भेजी है, उससे पता चलता है कि समस्या कई कारणों से मिलकर बनी है:
- नवंबर में ही 1,232 उड़ानें रद्द करनी पड़ीं
- 755 फ्लाइट्स क्रू की कमी और नए FDTL नियमों के कारण रद्द हो गईं
- 258 उड़ानें एयरपोर्ट और एयरस्पेस प्रतिबंधों के चलते कैंसल हुईं
- 92 फ्लाइट्स ATC सिस्टम फेलियर की वजह से प्रभावित हुईं
127 अन्य कारणों से रद्द करनी पड़ीं
सबसे बड़ी दिक्कत नए FDTL (Flight Duty Time Limits) नियमों के बाद पायलटों की कमी की है, जिससे एयरलाइन रोजाना उड़ने वाली 2,300 फ्लाइट्स के रोस्टर को मैनेज नहीं कर पा रही है। सर्दियों की धुंध, तकनीकी दिक्कतें और एयरपोर्ट्स पर बढ़ी भीड़ ने स्थिति को और जटिल बना दिया।
एयरलाइन की रिक्वेस्ट और अस्थायी राहत
फ्लाइट शेड्यूल को सामान्य करने के लिए इंडिगो ने सरकार से रात में पायलटों के काम के घंटों में अस्थायी छूट देने की मांग की है। इसका उद्देश्य है कि पायलट शॉर्टेज को कुछ समय तक मैनेज किया जा सके और उड़ानों की संख्या धीरे-धीरे सामान्य हो सके।
कब लौटेगी स्थिति सामान्य?
DGCA जांच के बाद इंडिगो ने आश्वासन दिया है कि 10 फरवरी तक सभी ऑपरेशंस सामान्य करने का लक्ष्य है।
वर्तमान स्थिति का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि एयरलाइन का ऑन-टाइम परफॉर्मेंस—
- 2 दिसंबर को 35%
- 3 दिसंबर को 19.7%
- 4 दिसंबर को सिर्फ 8.5% रह गया
एयरलाइन ने सोशल मीडिया पर कहा है कि यात्रियों को हुई असुविधा के लिए वह खेद व्यक्त करती है और पैसे की रिफंड प्रक्रिया तेज की जा रही है। 5 दिसंबर को कैंसिलेशन की संख्या में मामूली सुधार देखा गया है।
— IndiGo (@IndiGo6E) December 5, 2025