देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र भेजा है। हैरानी की बात यह है कि उनका इस्तीफा उस समय आया है जब संसद का मानसून सत्र शुरू ही हुआ है और आज सत्र का पहला दिन था। गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं, ऐसे में अब यह जिम्मेदारी फिलहाल खाली हो गई है।
धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब यह स्वाभाविक सवाल उठता है कि देश का अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा? आइए जानते हैं इस पद के लिए चुनाव की प्रक्रिया क्या होती है और इसमें कौन-कौन भाग लेता है।
उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव प्रक्रिया
भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित तथा मनोनीत सदस्यों द्वारा किया जाता है। यह प्रक्रिया पूरी तरह गुप्त मतदान के ज़रिए होती है और आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत एकल संक्रमणीय मत प्रणाली (Single Transferable Vote System) अपनाई जाती है। प्रत्येक सांसद एक वोट देता है, लेकिन वह अपनी पसंद के अनुसार उम्मीदवारों को प्राथमिकता क्रम (1, 2, 3…) में रैंक देता है। जैसे यदि तीन उम्मीदवार A, B और C हैं, तो कोई सांसद A के सामने 1, B के सामने 2 और C के सामने 3 लिख सकता है।
कौन-कौन कर सकते हैं मतदान?
उपराष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा के 543 और राज्यसभा के 245, यानी कुल 788 सांसद मतदान करते हैं। राज्यसभा के 245 सदस्यों में 12 मनोनीत सदस्य भी शामिल होते हैं, जिन्हें भी मतदान का अधिकार प्राप्त है।
उम्मीदवार बनने की पात्रता
उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनने के लिए निम्नलिखित योग्यता अनिवार्य है:
- भारत का नागरिक होना चाहिए।
- आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए।
- वह व्यक्ति राज्यसभा का सदस्य बनने की योग्यता रखता हो।
- नामांकन के समय 15,000 रुपए की जमानत राशि जमा करनी होती है।
- यदि उम्मीदवार को कुल वैध मतों का 1/6 भाग (16.67%) नहीं मिलता है, तो उसकी जमानत राशि जब्त हो जाती है।
निर्वाचित होने पर क्या होता है?
जब कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति के रूप में चुना जाता है और यदि वह पहले से संसद के किसी सदन या राज्य विधानमंडल का सदस्य होता है, तो वह उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेने के साथ ही उस सदन की सदस्यता से स्वतः इस्तीफा मान लिया जाता है। यानी उपराष्ट्रपति बनने के बाद वह किसी भी सदन का सदस्य नहीं रहता।