800 मिलियन डॉलर का Kohinoor हीरा किसे वापस मिलेगा: भारत, पाकिस्तान या अफगानिस्तान?

Kohinoor भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान सभी ने पहले कहा है कि वे 800 मिलियन डॉलर के कोहिनूर हीरे की वापसी की व्यवस्था करने के लिए “हर संभव प्रयास” करेंगे । सबसे लंबे समय तक ब्रिटिश सम्राट महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की मृत्यु की घोषणा के बाद, “Kohinoor” शब्द आश्चर्यजनक रूप से सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लग रहा है ।

A statement from His Majesty The King:

Kohinoor – कोह-ए-नूर KOH-in-OOR; को ‘माउंटेन ऑफ लाइट’ के लिए भी जाना जाता है ,कोहिनूर जिसे कोह-ए-नूर भी कहा जाता  है , जो की दुनिया के सबसे बड़े हीरो में से एक है। दुनिया में हीरा जिसे सबसे ज्यादा कट वाला हीरा भी कहा जाता है,  जिनका वजन 105.6 कैरेट (21.6  ग्राम) है। यह यूनाइटेड किंगडम के क्राउन ज्वेल्स का हिस्सा है। हीरा वर्तमान में क्वीन एलिजाबेथ द क्वीन मदर के क्राउन में जड़ा हुआ है । पिछले साल सितंबर में महारानी एलिजाबेथ के निधन के बाद उनके बड़े बेटे चार्ल्स III राजा बन गए थे | उन्होंने 2005 में कैमिला से शादी की थी | क्वीन एलिजाबेथ II ने कैमिला को ‘क्वीन ऑफ कंसॉर्ट’ घोषित किया था |

क्वीन एलिजाबेथ II भी बगैर कोहिनूर जड़ा ताज ही पहनती थीं | हालांकि, कुछ खास मौकों पर इस हीरे को ताज में लगाया जाता था | ये हीरा 2002 से ही टॉवर ऑफ लंदन के ज्वेल हाउस में रखा है | इस साल फरवरी में, महारानी ने घोषणा की थी कि जब चार्ल्स इंग्लैंड में राजशाही की बागडोर संभालेंगे तो कैमिला पार्कर बाउल्स क्वीन कंसोर्ट बनेंगी. अब, महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद इस बात की पूरी संभावना है कि कैमिला कोहिनूर पहनेगी.

वर्तमान में ट्विटर पर लोग ब्रिटेन से भारत का कोहिनूर हीरा लौटाने की बात कह रहे हैं | भारत के इतिहास में Kohinoor हीरे का ज़िकर होना और मिलना आम बात नही है | अभी कोहिनूर के ऊपर भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के स्थानीय लोगो ने जोरो-शोरो से ट्विटर पर ट्वीट किया है, जिससे ब्रिटिश किंग चार्ल्स III उसे उसके सही मालिक तक पहुंचा सके बता दें कि भारत में कोहिनूर को वापस लाने की कई बार मांग उठ चुकी है | लेकिन ब्रिटेन ने यह हीरा देने से हमेशा इनकार किया है | पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने भी कई बार कोहिनूर को ब्रिटेन से मांगने की कोशिश की पर उन्हें भी ब्रिटीशर्स  ने Kohinoor लोटने से मना कर दिया | Kohinoor का एक मिथक भी है | कहते हैं कि ये हीरा महिला स्वामियों के लिए भाग्यशाली है वहीं पुरुष स्वामियों के लिए ये दुर्भाग्य और मृत्यु का कारण बन सकता है.

ट्वीट: ताजपोशी में नहीं होगा विवादित हीरा कोहिनूर का इस्तेमाल

कोहिनूर का इतिहास :-

Kohinoor एक गोलकुंडा वर्गीकृत हीरा, ( कोहिनूर ) इसका उद्गम स्पष्ट नहीं है। दक्षिण भारत में, हीरों से जुड़ी कई कहानियां रहीं हैं, परन्तु कौन सी इसकी सच्ची कहानी है, कहना मुश्किल है। बताया जाता है की इसका खनन मध्य युग में काकतीय राजवंश के दौरान कोल्लूर खदान में किया गया था, जो कि कोल्लूर खान के दक्षिणी तट पर 4-मीटर (13 फीट) गहरे बजरी-मिट्टी के गड्ढों से उत्त्पन्न हुआ है। मूल रूप से उसे तेलंगाना के एक मंदिर से जोड़ा जाता है। चालुक्य वंश के राजा पुलकेशिन द्वितीय ने तेलंगाना के वारंगल में 625 ईस्वी में भद्रकाली मंदिर का निर्माण किया था।

जब काकतीय शासकों ने इस क्षेत्र पर अपना अधिकार जमा लिया था, तब राजा ने देवी भद्रकाली को अपना “कुल देवी” बनाकर Kohinoor हीरे को देवी की बाईं आंख से जोड़ दिया था। काकतीय युग के दौरान, आकर्षक कोहिनूर हीरा का कोल्लूर खानों से खनन किया गया था। लेकिन, करीबन 1310 ईस्वी में, दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने अपने सेनापति मलिक काफूर की मदद से हीरे को कब्जे में ले लिया। बता दें, हीरा केवल यही तक नहीं रहा, एक हाथ से दूसरे हाथ होते हुए बाबर, हुमायूं, शेर शाह सूरी से लेकर शाहजहां, औरंगजेब और पटियाला के महाराजा रणजीत सिंह तक भी जा पहुंचा। धीरे-धीरे इस पर अंग्रेजों ने भी कब्जा कर लिया और फिर इसे महारानी विक्टोरिया को उपहार में सौंप दिया। चलिए आपको इसकी और जानकारी से रूबरू कराते हैं।

मुगल साम्राज्य के तुर्को-मंगोल संस्थापक बाबर ने एक “प्रसिद्ध” हीरे के बारे में लिखा था, जिसका वजन 187 कैरेट से थोड़ा अधिक था – लगभग 186-कैरेट जोकि कोह-ए-नूर के आकार का था। उनकी डायरी के अनुसार इसे दिल्ली सल्तनत के खिलजी वंश के अलाउद्दीन खिलजी द्वारा अधिग्रहित किया गया था, जब उन्होंने 14 वीं शताब्दी की शुरुआत में दक्षिणी भारत के राज्यों पर आक्रमण किया और फिर इसे काकतीय लोगों से लूट लिया।

यह बाद में सल्तनत के राजवंशों के उत्तराधिकारी के रूप में चला गया, और बाबर ने 1526 में पानीपत की लड़ाई में दिल्ली और आगरा की विजय के लिए श्रद्धांजलि के रूप में हीरा प्राप्त किया। हालांकि, इन विवरणों को सटीक रूप से सत्यापित करना असंभव है कि यह कब या कहाँ पाया गया था, और इसके मूल स्वामी के रूप में कई प्रतिस्पर्धी सिद्धांत मौजूद हैं। कोहिनूर की उत्पत्ति समय के बीच में खो गई है, कोहिनूर आज ब्रिटिश ताज का गौरव है, जिसे लंदन टॉवर में रखा गया है। इस वक्त Kohinoor हीरा ब्रिटेन के राजपरिवार के पास मौजूद है।