देश के प्रमुख शहरों में पेट्रोल की कीमतें एक जैसी नहीं होतीं। दिल्ली में जहां पेट्रोल ₹94.77 प्रति लीटर पर मिल रहा है, वहीं कोलकाता में इसका भाव ₹105.41 तक पहुंच गया है। विशाखापत्तनम में तो कीमत ₹109.04 प्रति लीटर है और हैदराबाद में यह ₹107 से भी ऊपर है। इसके उलट, राजधानी दिल्ली में सबसे सस्ते रेट देखने को मिल रहे हैं।
कोलकाता ने मुंबई को भी पछाड़ा
लंबे समय से मुंबई में पेट्रोल के दाम सबसे ज्यादा माने जाते थे, लेकिन इस बार कोलकाता ने भी इसे पीछे छोड़ दिया है। इसका मतलब यह है कि अब महानगरों में कीमतों की तुलना में दिल्ली सबसे किफायती शहर साबित हो रहा है। वहीं, डीजल के रेट की बात करें तो दिल्ली में डीजल ₹87.62 प्रति लीटर पर बिक रहा है।
कीमतें क्यों होती हैं अलग-अलग?
कई लोगों को लगता है कि पेट्रोल-डीजल के दाम सीधे-सीधे अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों पर निर्भर करते हैं, लेकिन यह सच नहीं है। असल वजह है भारत का टैक्स स्ट्रक्चर। केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी लगाती है और हर राज्य अपने स्तर पर अलग-अलग वैट (VAT) और स्थानीय शुल्क वसूलता है। यही कारण है कि पेट्रोल की कीमतें हर राज्य और शहर में अलग-अलग होती हैं।
टैक्स कटौती के बाद भी फर्क क्यों?
मई 2022 में केंद्र सरकार और कई राज्यों ने टैक्स में कटौती की थी। इसके बाद से कीमतों में ज्यादा बदलाव देखने को नहीं मिला। लेकिन हर राज्य का टैक्स ढांचा अलग होने के कारण अब भी दामों में असमानता बनी हुई है। यानी, वैश्विक बाजार में बदलाव का असर तुरंत और समान रूप से भारत में दिखाई नहीं देता।
तेल कंपनियां हर दिन सुबह 6 बजे पेट्रोल-डीजल के नए दाम अपडेट करती हैं। इस पर वैश्विक कच्चे तेल की कीमतें और डॉलर-रुपया विनिमय दर का बड़ा असर पड़ता है। हालांकि, टैक्स और शुल्क की जटिल व्यवस्था की वजह से कई बार इन बदलावों का असर देर से या आंशिक रूप में दिखाई देता है।
भारत में पेट्रोल इतना महंगा क्यों?
दुनियाभर में पेट्रोल की कीमतें बेहद अलग हैं। ईरान में पेट्रोल ₹2.4 प्रति लीटर में उपलब्ध है, वहीं हांगकांग में इसकी कीमत ₹304 तक पहुंच चुकी है। अमेरिका में भी पेट्रोल भारत से सस्ता है, जहां इसका दाम करीब ₹80 प्रति लीटर है।
भारत में पेट्रोल महंगा होने की मुख्य वजह है उच्च टैक्स प्रणाली। केंद्र और राज्य सरकारें पेट्रोल की मूल कीमत पर भारी-भरकम टैक्स जोड़ देती हैं। इसके अलावा, डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी और पेट्रोल डीलरों का कमीशन भी दाम बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है।
कुल मिलाकर, चाहे अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल सस्ता हो जाए, भारतीय उपभोक्ता को उसका पूरा फायदा नहीं मिल पाता। टैक्स, शुल्क और अन्य कारकों की वजह से पेट्रोल-डीजल की कीमतें लगातार ऊंची बनी रहती हैं और इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ता है।