सीडीपीओ के निलंबन के बाद भी जांच में बाबू को क्लीनचिट क्यों?

नितिन खटकर/आमला: महिला एवं बाल विकास परियोजना आमला में जब से जेलर साहब की आमद हुई थी तो ऐसा लगा था कि अब सब काम पूरे ईमानदारी से होगा लेकिन ऐसा क्या पता था कि जब सईया कोतवाल तो डर कायका यह कहावत भी सही साबित हो गई है क्योंकि सीडीपीओ पूर्व में जेलर की पोस्ट पर रहे चुके है।

इस वजह से लोगो को उनसे एक उम्मीद थी लेकिन उन्होंने ओर बाबू ने मिलकर लाखों का भष्ट्राचार किया जिसका खुलाशा भी जाच में हो चुका है। लेकिन सीडीपीओ को तो जाच के दौरान ही निलंबित कर दिया था वही लेखापाल बाबु को जाच के बाद भी कॉलिन चिट कैसे मिल गई है।

यह बात तो गले से उतर ही नही रही है क्योंकि जो भी बिल लगाए गए थे वो बिल लेखपाल ने ही लगाए थे ।इसके बाद भी बाबू को साफ सुतरा बताया जा रहा है जबकि प्रथम दृष्टिया बाबू ही दोषी है लेकिन महिला बाल विकास के आला अधिकारी बाबु को बचा रहे है ।