बताया जाता है की राजा दशरथ ने पुत्रो की प्राप्ति के लिए एक यज्ञ किया था. उस यज्ञ से एक फल की उत्पत्ति हुई, जिस फल की उत्पत्ति यज्ञ से हुई थी उस फल को खाने से राजा को पुत्रो की प्राप्ति होती उस फल को राजा ने अपनी तीनो रानियों को खाने के लिए दे दिया था तीनो रानियों ने वह फल खा लिया, परंतु बचा हुआ फल एक पक्षी कैकई से छीन कर ले गया. जिस पर्वत पर अंजना टहल रही थी.पक्षी ने वह फल उस पर्वत पर जा कर गिरा दिया और वायु देव ने वो फल उठाकर माता अंजना को दे दिया और उसे खाने के लिए कहा, माता अंजना ने उस फल का उपभोग किया, जिससे उन्हे पुत्र के रूप में भगवान हनुमान की प्राप्ति हुई. जिस फल का सेवन माता अंजना ने किया था वह फल पक्षी ने कैकई से छिना था इसीलिए भगवान राम हनुमान जी को भरत के समान अपना भाई मानते थे |
सब सुख लहै तुम्हारी सरना,
तुम रक्षक काहू को डरना॥
भगवान हनुमान चालीसा का यह दोहा हर उस भक्त को अति प्रिय है जो भगवान हनुमान की आराधना करता है, इस दोहे का अर्थ है की जो भी आपकी शरण में आते है उन सभी को आनंद एवं सुख प्राप्त होता है और आप रक्षक है, तो फिर किसी का डर नहीं रहता। जैसा की हम सभी जानते है की हनुमान जी कलयुग में भक्तो के सबसे लोकप्रिय भगवान है, भगवान हनुमान भारत देश में सभी जगह विराजमान है. महाकाव्यो में भगवान हनुमान जी को शक्तिशाली और कर्तव्य निष्ट बताया गया है क्योंकि भगवान हनुमान हमेशा भगवान राम के प्रति कर्तव्य निष्ट रहे है और उन्होंने अपनी शक्तियों से रावण को हराने में भगवान राम की मदद की थी.
हनुमान जी को इतनी सारी शक्तिया कैसे मिली-
जब भागवान हनुमान बाल रूप में थे तब उन्हे एक दिन भूक लगी और हनुमान जी खाने के लिए कुछ इधर उधर देखने लगे तब उन्हे आसमान में सूरज दिखा उन्हे लगा की यह आम का फल है और वह उसे खाने के लिए आसमान में उड़ गए, वह सूरज को फल समझ कर खाने के लिए उसके पास जाने लगे जैसे-जैसे वह सूरज के पास पहुंच रहे थे, वैसे-वैसे उनका आकर भी बड़ा हो गया. जब राहू को आभास हुआ की कोई दिव्य शक्ति सूरज के करीब आ रही है तो रहू ने जाके इंद्र देव को सुचना दी, इंद्र देव ने हनुमान जी को रोकने की बहुत कोशिश की पर वह नही रुके तब इंद्र देव ने वज्र से हनुमान जी पर प्रहार कर दिया, जिसकी वजह से हनुमान जी मूर्छित हो गये. जब यह बात वायु देव को पता चली तो उन्होंने गुस्से में आकर पूरी शिर्ष्टि की वायु को रोक दिया था, जिसकी वजह से कोई इंसान पशु, पक्षी सास नही ले परा था. अचानक हवा के रुक जाने से तीनो लोको की गति रुक गई थी. सभी देवो ने वायु देव से इंद्र देव की गलती पर माफ़ी मांगी और हनुमान जी को एक-एक कर वरदान दिया.
जैसे की ब्रम्हा जी ने हनुमान जी को अमरता का वरदान दिया और यह कहा की वह अपनी इच्छा से अपनी उपस्थिति बदल सकेंगे.
सूर्यदेव ने यह वरदान दिया की वह अपने तेज का एक हिस्सा हनुमान को देगे और वह जब चाहे उनसे वेदों का ज्ञान ले सकते है.
यम देव ने यह वरदान दिया की हनुमान जी को कभी भी यमयातना का सामना नही करना पड़ेगा
भगवान विश्वकर्मा ने यह वरदान दिया की उनके द्वारा बनाये गए अस्त्र से उन्हे कभी कोई हानी नही पहुंचेगी.
कुबेर ने उन्हे अपनी गदा देकर हमेशा विजय होने का वरदान दिया
इस तरह देवताओ द्वारा दी गई शक्तियों और वरदानो से हनुमान जी धन्य हुए.
हनुमान चालीसा पड़ने के फायदे-
‘भूत पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे
इस दोहे का अर्थ यह है की जो व्यक्ति नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करता है उसके आस-पास भूत-पिशाच और दूसरी नकारात्मक शक्तियां नहीं आती हैं। हनुमान चालीसा गोस्वामी तुलसी दास की काव्य रचना है हनुमान चालीसा पड़ने से जीवन के सभी कष्टों का निवारण होता है. हनुमान चालीसा का पाठ रोज करना चाहिए अगर आप रोज पाठ नही कर सकते तो हर मंगलवार और शनिवार करे. कहा जाता है की सभी देवताओ में से एक हनुमान जी ही है जो कलयुग में भी जीवित है और हनुमान जी अपने सभी भक्तो की मनोकामना को पूरी करते है. तो नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करे. इसके अलावा यदि आप मानसिक अशांति से परेशान हैं या आपको नींद नहीं आ रही है, तो हनुमान चालीसा का पाठ मानसिक शांति देता है। साथ ही इसका पाठ जीवन में उन्नति दिलाता है।
हनुमान जी के भारत में प्रसिद्ध मंदिर-
भारत देश में हनुमान जी के कई मंदिर है सबकी अपनी-अपनी अलग मान्यताए है तो आईये जानते है हनुमान जी के कुछ विशेष मंदिरों के बारे में.
1. मेहंदीपुर बालाजी मंदिर-
भगवान हनुमान का यह सु-प्रसिद्ध हनुमान मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में मेहंदीपुर में स्तिथ है. यह मंदिर लोगो के बिच काफी प्रचालित है. दूर-दूर से लोग यहाँ पर बालाजी के दर्शन के लिए आते है.इस मंदिर की कुछ खास अनोखी बाते है. इस मंदिर में भुत प्रेत की समस्या से आपको निवारण मिलता है. इस मंदिर में प्रेतराज सरकार और भेरू बाबा की मूर्ति भी है हर दिन दोपहर के 2 बजे यंहा प्रेतराज सरकार का दरबार लगता है और दरबार में भजन-कीर्तन कर पेशी दी जाती है. जिसमे लोगो पर आए उपरी बाधाओ को निकाला जाता है. इस मंदिर से आप अपने घर कुछ भी नही ले जा सकते है.न ही किसी का दिया हुआ प्रसाद खा सकते है, ना किसी को प्रसाद दे सकते है. मंदिर में कुछ भी खाना, किसी से लेना, किसी को देना वर्जित माना गया है. यही नही बालाजी भगवान् की बायीं तरफ की छाती में छेद है जिससे पानी का प्रवाह होता है. जिसे कहा जाता है की यह भगवान का पसीना है.
2. सालासर हनुमान मंदिर-
सालासर हनुमान मंदिर राजस्थान के चुरू जिले में स्थापित है. गाव का नाम सालासर होने की वजह से इस मंदिर को सालासार मंदिर भी कहा जाता है. हनुमान जी की यह मूर्ति दाड़ी व मूंछ वाली है. यह एक किसान को खेत में मिली थी, जिसे बाद में सालासर के सोने के सिंघासन पर विराजित किया गया है. सालासर हनुमान मंदिर के बारे में एक बड़ी रोचक बात यह है की इनके मंदिर का निर्माण करने वाले मुसलमान कारीगर थे। इनमें नूर मोहम्मद और दाऊ का नाम शामिल है। बालाजी की धुणी को भी चमत्कारी माना जाता है। कहते हैं बाबा मोहनदास जी ने 300 साल पहले इस धुनी को जलाई थी जो आज भी अखंडित प्रज्जवलित है।
3. हनुमान धारा चित्रकूट-
हनुमान जी का यह मंदिर उत्तर प्रदेश के सीतापुर में स्थित है, यह मंदिर पर्वत माला के मध्य है.इस मंदिर में पानी की धारा हनुमान जी के मूर्ति के ऊपर से बहती है.भगवान् की मूर्ति के ऊपर दो कुंड है. उन कुंड से पानी बहता रहता है. इसलिए इस मंदिर को हनुमान धारा बोलते है.
4. श्री संकटमोचन मंदिर, वाराणसी
यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में है। श्री संकटमोचन मंदिर के चारों ओर एक छोटा सा जंगल है। मंदिर के प्रांगण में भगवान हनुमान की दिव्य प्रतिमा है। ऐसी मान्यता है कि हनुमानजी की यह मूर्ति गोस्वामी तुलसीदासजी के तप एवं पुण्य से प्रकट हुई स्वयंभू मूर्ति है।