सावन के पावन महीने में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व होता है। इस शुभ अवसर पर देशभर के शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। श्रद्धालु सुबह-सुबह जल, बेलपत्र, दूध और गंगाजल लेकर शिवलिंग पर अभिषेक करने के लिए लंबी कतारों में खड़े नजर आ रहे हैं। काशी, उज्जैन, सोमनाथ, बैजनाथ और अन्य ज्योतिर्लिंगों में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया गया है। भगवान शिव को दूल्हे की तरह सजाया गया है और हर मंदिर आकर्षक फूलों और रोशनी से जगमगा उठा है। श्रद्धालुओं में गहरी आस्था देखने को मिल रही है।
नंदी के कान में मनोकामना कहने की प्रथा का आध्यात्मिक रहस्य
शिव भक्ति से जुड़े कई रहस्य और परंपराएं प्राचीन काल से चली आ रही हैं। इन्हीं में से एक परंपरा है भगवान शिव के वाहन और उनके परम भक्त नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहना। शास्त्रों में उल्लेख है कि शिवलिंग के दर्शन और पूजन के बाद नंदी की भी पूजा की जानी चाहिए। नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहने से पहले “ॐ” का उच्चारण करना अनिवार्य होता है। यह पवित्र ध्वनि ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है, जिससे नंदी आपकी बातों को सुनकर उसे शिव तक पहुंचा देते हैं।
पौराणिक कथा से जानें नंदी की विशेष भूमिका
पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार भगवान शिव ने नंदी को वरदान दिया कि जो भी व्यक्ति तुम्हारे कान में अपनी कोई मनोकामना कहेगा, वह बात मेरे कानों तक जरूर पहुंचेगी और यदि वह उचित होगी तो मैं उसे अवश्य पूरा करूंगा। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि भक्तगण शिवलिंग के दर्शन और जलाभिषेक के बाद नंदी के कान में अपने दिल की बात कहते हैं।
एक अन्य कथा में बताया गया है कि एक ऋषि ने नंदी से उनकी भक्ति की विशेषता पूछी। तब नंदी ने कहा कि वे तो शिव के इतने निकट रहते हैं कि वे कुछ कहने की जरूरत नहीं समझते, क्योंकि शिव उनकी हर भावना को स्वयं ही समझ लेते हैं। तब ऋषि ने प्रस्ताव दिया कि आम भक्त अपनी मनोकामना नंदी के माध्यम से शिव तक पहुंचा सकते हैं, जिससे यह परंपरा प्रचलित हुई।
नंदी के कान में बात कहने की विधि और महत्व
यदि आप नंदी के कान में अपनी कोई इच्छा या मनोकामना प्रकट करना चाहते हैं, तो आपको सबसे पहले उन्हें श्रद्धापूर्वक पूजन अर्पित करना चाहिए। उनके समक्ष घी या तेल का दीपक जलाएं, पुष्प चढ़ाएं और उन्हें नैवेद्य अर्पित करें। पूजन के बाद बाईं ओर झुककर उनके कान में धीरे से “ॐ” का उच्चारण करते हुए अपनी मनोकामना स्पष्ट रूप से कहें। मान्यता है कि इस प्रक्रिया से आपकी प्रार्थना नंदी के माध्यम से शीघ्र ही भगवान शिव तक पहुंचती है और यदि आपकी कामना धार्मिक और पुण्यप्रद होती है, तो भोलेनाथ उसे अवश्य पूरा करते हैं।
शिव-भक्ति में विश्वास, नियम और श्रद्धा का महत्व
नंदी के कान में बात कहने की यह परंपरा केवल एक क्रिया नहीं, बल्कि श्रद्धा और विश्वास का अद्भुत प्रतीक है। यह दर्शाता है कि जब भक्त अपने आराध्य से सीधे नहीं कह पाते, तब उनका सेवक, उनका वाहन ही एक माध्यम बनता है। ऐसे में यह भी जरूरी है कि श्रद्धा के साथ नियमों का पालन करते हुए पूजा की जाए। केवल कर्मकांड नहीं, भावनाओं और विश्वास से की गई प्रार्थना ही भगवान तक शीघ्र पहुंचती है।