Scindia राज परिवार का लोकतंत्र में क्यों बना हुआ है वर्चस्व!

स्वतंत्र समय, शिवपुरी

सिंधिया ( Scindia ) राजवंश के प्रभाव वाली गुना लोकसभा सीट पर राजमाता विजया राजे सिंधिया 6 बार उनके सुपुत्र माधवराव सिंधिया 4 बार और माधवराव सिंधिया के सुपुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया 4 बार चुनाव जीत चुके हैं। इस इलाके में अभी तक हुए 19 लोकसभा चुनाव में 14 बार सिंधिया राजवंश के वारिसों ने प्रतिनिधित्व किया है।आजादी के बाद सरदार बल्लभ भाई पटेल ने देश में कार्यरत लगभग 562 देशी रियासतों को भारत में मिलाकर इस देश को एक सूत्र में बांधा। राजतंत्र में जहां राजा पेट से जन्म लेता है वहीं देश की नई प्रणाली लोकतंत्र में राजा मतपेटियों के जरिये जन्म लेने लगा, लेकिन इन रियासतों में सिंधिया राज परिवार अकेला ऐसा राजपरिवार है जिसका आजादी के 77 साल के बाद भी वर्चस्व बना हुआ है।

 Scindia राज परिवार का जनता पर अब भी प्रभाव

2019 के लोकसभा चुनाव को छोड़ दें तो शेष चार बार जिन नेताओं ने इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है, वे सभी सिंधिया ( Scindia ) राजपरिवार से जुड़े हुए हैं और उनकी इच्छा से ही उन्हें सांसद बनने का मौका मिला है। इससे स्पष्ट है कि लोकतंत्र में भी सिंधिया राज परिवार का प्रभाव जनता पर अभी तक बना हुआ है। अपवाद स्वरूप मोदी लहर में ज्योतिरादित्य सिंधिया 2019 के लोकसभा चुनाव में पराजित हुए थे, लेकिन इससे उनकी लोकप्रियता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। जिन लोगों ने भी मोदी के नाम पर उस चुनाव में भाजपा को वोट दिए थे उनका कहना था कि वह वोट मोदी जी को दे रहे हैं, लेकिन जीतेंगे तो सिंधिया ही। इस कारण अलोकप्रिय न होने के बाद भी सिंधिया पराजित हो गए, लेकिन पांच साल में ही उनकी इस क्षेत्र में धमाकेदार वापसी हुई है। जिस भाजपा के उम्मीदवार केपी यादव ने उन्हें पराजित किया था। भाजपा ने उन्हीं का टिकिट काटकर ज्योतिरादित्य सिंधिया को उम्मीदवार बना दिया। यह भी अकारण नहीं है। केपी यादव की सांसद के रूप में असफलता से ज्योतिरादित्य सिंधिया की वापसी हुई है और सिंधिया ने भाजपा उम्मीदवार बनने के बाद ताबड़तोड़ तरीके से कई विकास कार्यों की घोषणा कर यह जाहिर किया है कि उनकी ताकत का आधार अकेले राजवंश के प्रति श्रद्धा नहीं, बल्कि जन अपेक्षाओं को पूरा करने की उनकी संकल्पबद्धता है।

मर्दानी महिला की छवि वाली राजमाता विजयाराजे Scindia

सिंधिया राजवंश में राजमाता विजयाराजे सिंधिया ( Scindia )  की छवि एक मर्दानी महिला के रूप में जानी जाती है। राजनीति को उन्होंने हमेशा एक जनसेवा का माध्यम बनाया और अन्याय तथा अत्याचार के खिलाफ वह कभी नहीं झुकी। कांग्रेस से अपनी राजनीति की शुरूआत करने वाली राजमाता विजयाराजे सिंधिया को जब लगा कि सम्मानजनक ढंग से कांग्रेस में रहना उनके लिए संभव नहीं रहा तो उन्हेांने 1967 में प्रदेश के 36 कांग्रेस विधायकों को तोडक़र राजनीति की चाणक्य कहे जाने वाली डीपी मिश्रा की सरकार को गिरा दिया। वह चाहती तो स्वयं मुख्यमंत्री बन सकती थी, लेकिन पद की राजनीति से जीवन के अंतिम क्षण तक वह अलग रही। भाजपा को आज मजबूत स्थिति में पहुंचाने का सबसे बड़ा श्रेय राजमाता विजयाराजे सिंधिया को है। इस कारण पुरानी ग्वालियर रियासत के वांशिदों में उनका सम्मान अभी तक बना हुआ है। उनके सुपुत्र माधवराव सिंधिया ने विकास कार्यों से अपनी पहचान बनाई है। 1971 में माधवराव सिंधिया ग्वालियर से जनसंघ के टिकिट पर सांसद बने उस समय पूरे देश में कांग्रेस की लहर थी, लेकिन वह आसानी से चुनाव जीत गए। उस चुनाव में ग्वालियर शिवपुरी लोकसभा क्षेत्र से पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटलबिहारी बाजपेयी को राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने सांसद बनवाया। उस चुनाव में अटल जी ने शिवपुरी की जनता को वायदा किया था कि जीतने के बाद वह गुना-इटावा रेल लाईन का निर्माण करायेंगे। अटल जी चुनाव तो जीत गए लेकिन सरकार कांग्रेस की बनी। इस पर उन्होंने कहा कि जब भी हमारी सरकार बनेगी तो सबसे पहले वह गुना-इटावा रेल लाईन को मंजूर कराऐंगे। 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनी। अटल जी उस सरकार में विदेश मंत्री बने। गुना से सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया बने।

माधवराव सिंधिया ने सबसे पहले गुना-इटावा रेल लाईन स्वीकृत कराई

श्री सिंधिया उस समय शिवपुरी से समाजसेवियों का प्रतिनिधि मंडल लेकर रेल लाईन की मांग हेतु दिल्ली ले गए और उन्होंने अटल जी से चर्चा की। उस समय रेल मंत्री मधु दण्डवते थे। अटल जी ने यह कहकर किनारा कर लिया कि रेल मंत्री मेरी बात नहीं मानते हैं, जब आप मुझे प्रधानमंत्री बनायेंगे तब में गुना-इटावा रेल लाईन मंजूर कराऊंगा। 1984 में माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में ग्वालियर से अटल जी को पराजित किया और श्री सिंधिया रेल मंत्री बने। रेल मंत्री बनते ही माधवराव सिंधिया ने सबसे पहले गुना-इटावा रेल लाईन स्वीकृत कराई। उस समय तक शिवपुरी के कई लोगों ने रेल तक नहीं देखी थी। यह इतना बड़ा विकास कार्य माधवराव सिंधिया ने स्वीकृत कराया जिस पर 100-100 विकास कार्य न्यौछावर है। उस दौरान हवाई पट्टी और पर्यटन ग्राम की सौगात भी सिंधिया ने दी थी। टाईगर सफारी भी वह नेशनल पार्क शिवपुरी में लाए। उनके निधन के बाद उनके सुपुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमान संभाली। शिवपुरी में मेडीकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, सिंध पेयजल परियोजना, सीवेज प्रोजेक्ट जैसी कई विकास योजनाओं को वह अपने संसदीय क्षेत्र में लाए। भाजपा सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री बनने के बाद उन्होंने 1600 करोड़ की लागत से ग्वालियर एयरपोर्ट का आधुनिकी करण किया। शिवपुरी और गुना में ऐयरपोर्ट निर्माण हेतु 45-45 करोड़ रूपए की राशि दी। शिवपुरी में 34 करोड़ रूपए की लागत से रेलवे ओवर ब्रिज का शिलान्यास किया। इससे समझा जा सकता है कि सिंधिया राज परिवार इस क्षेत्र में अपने विकास कार्यों के कारण जनता के दिल और दिमाग में बसा हुआ है। 2019 में केपी यादव यदि विकास कार्यों से जुड़े होते और जनता से उनका अटैचमेंट बना रहता तो शायद सिंधिया परिवार के लिए वापसी मुश्किल होती।