समुद्र किनारे पर स्थित पुरी के जगन्नगाथ मंदिर में आखिर क्यों नहीं आती समुद्री लहरों की आवाजें? रहस्य जानकर हो जाएगे हैरान

Mystery Of Jagannath Puri Temple : ओडिशा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर रहस्यों का खजाना है। इस मंदिर से कई पौराणिक मान्यताएं और कहानियां जुड़ी है। आज हम आपको जगन्नाथ मंदिर के एक ऐसे रहस्य के बारे में बताने वाले है जिसे जानकर आप भी चौंक जाएंगे।

पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर समुद्र के किनारे बसा है। लेकिन सबसे हैरानी की बात तो ये है कि मंदिर समुद्र से घिरा होने के बावजूद भी मंदिर परिसर के अंदर समुद्री लहरों की आवाजें नहीं आती है। जबकि मंदिर से बाहर निकलते ही समुद्री लहरों की आवाजें आती है। इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा जुड़ी है। ये कथा भगवान जगन्नाथ और भगवान हनुमानजी से जुड़ी है। जो कि भक्तो को मंदिर की आस्था पर झुकने पर मजबूर कर देती है।

इस कथा के अनुसार एकबार भगवान जगन्नाथ समुद्र की आवाज से परेशान हो गए थे और वे चैन से सो नहीं पा रहे थे। भगवान जगन्नाथ ने हनुमानजी को समुद्र को नियंत्रित करने का काम सौंपा था। ऐसे में यह काम हनुमानजी के जिम्मे में ही था। तब हनुमानजी ने समुद्र देव से शांत हो जाने की प्रार्थना की, लेकिन समुद्र देव ने कहा कि मैं ऐसा नहीं कर सकता, क्योंकि यह मेरे बस की बात नहीं है, पवन के वेग के साथ मेरी आवाज भी मंदिर तक पहुंचती है। इसलिए आप चाहे तो अपने पिता पवन देव से अनुरोध कर सकते है कि वह विपरीत दिशा में बहें, ताकि यह आवाज मंदिर तक नहीं पहुंचेगी।

तब हनुमानजी ने वैसा ही किया। उन्होंने पवन देव का आव्हान किया और कहा कि आप उल्टी दिशा में बह सकते है, पवन देव ने कहा कि मेरे लिए ये संभव नहीं है, लेकिन आप चाहो तो ऐसा कर सकते हो। आप अपनी तेजी से एक वायु चक्र बना सकते हो। हनुमाजी में वैसा ही किया और हनुमाजी जगन्नाथ मंदिर के चारो तरफ इतनी तेजी और वेग के साथ चक्कर लगाने लगे कि वहां एक वायु का चक्र बन गया, जिससे पवन देव को उसी वेग से बहना पड़ा। इस वेग की वजह से समुद्र की आवाज भी मंदिर तक नहीं पहुंच पायी। वायु के वेग ने समुद्र की आवाज को रोक लिया।

जिसके बाद भगवान जगन्नाथ मंदिर में चैन से सो सके और हनुमानजी की यह जुगत भी काम कर गई। मान्यता है कि आज भी भगवान हनुमानजी की यह जुगत काम कर रही है। जिससे मंदिर के अंदर समुद्र की तेज लहरों की आवाज बिल्कुल सुनाई नहीं देती है।