देशभर में लाखों मरीजों के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है। 15 हजार से ज्यादा प्राइवेट अस्पतालों ने बीमा कंपनियों के साथ कैशलेस इलाज की सुविधा वाले समझौते खत्म कर दिए हैं। इसका सीधा असर उन लोगों पर पड़ेगा जो हेल्थ इंश्योरेंस पर भरोसा करते हैं ताकि इलाज के वक्त उन्हें अपनी जेब से भारी खर्च न उठाना पड़े। नया नियम 1 सितंबर से लागू हो गया है और सबसे ज्यादा असर बजाज आलियांज, केयर हेल्थ और निवा बूपा जैसी कंपनियों की पॉलिसीधारकों पर दिखेगा।
क्यों नाराज़ हैं अस्पताल?
अस्पतालों का आरोप है कि बीमा कंपनियां इलाज का भुगतान 10 साल पुराने रेट्स पर करने की जिद कर रही हैं। हर दो साल में खर्चों का अपडेट होना चाहिए, लेकिन कंपनियां इसे मानने को तैयार नहीं हैं।
- दवाओं और जांचों पर कटौती
- मरीज के कमरे के किराए पर रोक
- डिस्चार्ज के बाद बिल मंजूरी में देरी
इन सब कारणों से अस्पतालों को लगातार घाटा हो रहा है। हरियाणा प्राइवेट हॉस्पिटल एसोसिएशन के डॉ. मनीष मधुकर का कहना है कि बीमा कंपनियों की जिद की वजह से मरीज भी ज़रूरी से ज्यादा समय तक अस्पतालों में फंसे रहते हैं। इसी नाराजगी ने अस्पतालों को कैशलेस सुविधा बंद करने पर मजबूर कर दिया।
राजस्थान की RGHS योजना भी प्रभावित
समस्या सिर्फ बीमा कंपनियों तक सीमित नहीं है। राजस्थान की RGHS हेल्थ स्कीम में शामिल करीब 701 प्राइवेट अस्पतालों ने भी कैशलेस सुविधा रोक दी है। इन अस्पतालों का कहना है कि सरकार पर लगभग 1000 करोड़ रुपये का बकाया है। नतीजतन, राज्य के 35 लाख सरकारी कर्मचारी और उनके परिवार इलाज को लेकर परेशानी झेल रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कई कर्मचारी संगठनों ने सरकार की इस देरी पर कड़ी नाराजगी जताई है। अस्पतालों का साफ कहना है कि जब तक भुगतान नहीं मिलेगा, तब तक स्कीम के तहत इलाज संभव नहीं है।
बढ़ रहा है क्लेम रिजेक्ट का आंकड़ा
बीमा कंपनियां हर साल लाखों मरीजों के क्लेम खारिज कर देती हैं। वित्त वर्ष 2023-24 में कंपनियों ने करीब 26 हजार करोड़ रुपये के क्लेम रिजेक्ट कर दिए, जो पिछले साल से 19% ज्यादा हैं।
हालांकि इस दौरान कंपनियों ने 36.5 करोड़ पॉलिसियां बेचीं और प्रीमियम से भारी कमाई की, लेकिन मंजूर क्लेम सिर्फ 7.66 लाख करोड़ रुपये के ही रहे। यानी करीब 3.53 लाख करोड़ रुपये के क्लेम किसी न किसी कारण से नामंजूर कर दिए गए। इसका मतलब साफ है कि बीमा कंपनियां आम लोगों से प्रीमियम तो वसूल रही हैं, लेकिन फायदा देने में पीछे रह जाती हैं।
पॉलिसीधारक क्या करें?
- इस हालात ने मरीजों और इंश्योरेंस पॉलिसी लेने वालों की चिंता बढ़ा दी है।
- अगर आपके पास बजाज आलियांज, केयर हेल्थ या निवा बूपा जैसी कंपनियों की पॉलिसी है तो तुरंत उसकी स्थिति चेक करें।
- अस्पताल से पहले ही यह पुष्टि कर लें कि वहां कैशलेस सुविधा उपलब्ध है या नहीं।
- इलाज की स्थिति में अगर कैशलेस सुविधा बंद हो तो बिल का भुगतान पहले खुद करना पड़ सकता है और बाद में क्लेम की प्रक्रिया पूरी करनी होगी।