रक्षाबंधन पर राखी का सही चुनाव क्यों है जरुरी? जानिए वास्तु शास्त्र की राय

रक्षाबंधन सिर्फ एक पारंपरिक पर्व नहीं है, बल्कि भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक है। जिसमें प्रेम, आशीर्वाद और सुरक्षा की भावना समाहित होती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि राखी का सही चयन किया जाए, तो यह न केवल भाई की कलाई की शोभा बनती है, बल्कि उसके जीवन में सौभाग्य और समृद्धि भी लाती है।

राखी का पौराणिक महत्व

महाभारत काल में जब श्रीकृष्ण की उंगली कट गई थी, तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनके हाथ पर बांध दिया। यही धागा रक्षा-सूत्र बन गया और बाद में चीरहरण के समय श्रीकृष्ण उसी धागे की शक्ति से द्रौपदी की रक्षा करते हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि राखी केवल धागा नहीं, बल्कि एक मजबूत संकल्प और सुरक्षा का प्रतीक होती है।

रंगों का महत्व वास्तु के अनुसार

राखी के रंग का चयन बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि हर रंग एक विशेष ऊर्जा को दर्शाता है:

  • लाल रंग: साहस, ऊर्जा और आत्मविश्वास को बढ़ाता है। मंगल कार्यों के लिए शुभ होता है।
  • पीला रंग: लक्ष्मी और बुध ग्रह से जुड़ा होता है। यह शिक्षा, बुद्धिमत्ता और करियर में सफलता दिलाता है।
  • हरा रंग: भाई के स्वास्थ्य, मानसिक शांति और पारिवारिक सौहार्द को बढ़ाता है।
  • सफेद रंग: तनाव और क्रोध को कम करने वाला माना जाता है।
  • वहीं, काले और भूरे रंग की राखियां नकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित कर सकती हैं। ऐसे रंगों से बचना चाहिए।

राखी का धागा और उसकी प्रकृति

वास्तु शास्त्र के अनुसार कच्चे सूत या रेशम के धागे से बनी राखी शुभ मानी जाती है। ये राखियां भाई को स्थायित्व और सुरक्षा देती हैं। प्लास्टिक या कृत्रिम धागों से बनी राखियों से परहेज करना चाहिए क्योंकि उनमें प्राकृतिक ऊर्जा का अभाव होता है।

राखी में धातु, प्रतीक और रुद्राक्ष

  • चांदी या तांबे की राखी: ऊर्जा प्रवाह को सक्रिय करती है।
  • रुद्राक्ष वाली राखी: ग्रह दोष से सुरक्षा देती है।
  • स्वस्तिक, ॐ, त्रिशूल, शंख जैसे प्रतीक वाली राखियां बुरी नजर और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करती हैं।
  • मोती, कौड़ी और शंख: आर्थिक समृद्धि और मानसिक संतुलन में सहायक होते हैं।

मंत्र और बहन का संकल्प

कुछ राखियों में “ॐ नमः शिवाय” जैसे मंत्र अंकित होते हैं या उनमें ध्वनि तरंगें होती हैं, जो सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती हैं। सबसे महत्वपूर्ण है बहन की भावना और संकल्प। जब बहन पूर्ण श्रद्धा और शुभकामनाओं के साथ राखी बांधती है, तब वह रक्षा कवच से भी अधिक प्रभावशाली बन जाती है।

Disclaimer : यह जानकारी वास्तु शास्त्र और पारंपरिक मान्यताओं पर आधारित है। स्वतंत्र समय इसकी प्रामाणिकता या वैज्ञानिक पुष्टि का समर्थन नहीं करता है।