नाग पंचमी केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति में प्रकृति, जीव-जंतुओं और अदृश्य दिव्य शक्तियों के साथ सामंजस्य बनाने की एक पवित्र परंपरा है। यह पर्व श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन नागों की पूजा कर उनसे जीवन में सुख, शांति और सुरक्षा की कामना की जाती है।
क्यों नहीं बनती रोटी नाग पंचमी के दिन?
नाग पंचमी से जुड़ी एक प्रमुख परंपरा है। इस दिन घरों में तवे पर रोटी नहीं बनाई जाती। यह परंपरा केवल आस्था नहीं, बल्कि ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं से भी जुड़ी हुई है। आइए जानते हैं इसके पीछे के कारण।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण: तवा और राहु-केतु का संबंध
श्रावण शुक्ल पंचमी को ज्योतिष में “नाग तिथि” कहा गया है। मान्यता है कि इस दिन राहु और केतु जैसे छाया ग्रह विशेष रूप से सक्रिय रहते हैं। इन्हें सर्प रूपी ग्रह माना जाता है। पंचमी तिथि नाग तत्व से प्रभावित मानी जाती है, और इस दिन ‘सर्प योग’ प्रबल होता है।
तवा, जिस पर रोटी पकाई जाती है, उसे राहु का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन तवे का प्रयोग करने से राहु और केतु के नकारात्मक प्रभाव बढ़ जाते हैं, जिससे जीवन में बाधाएं, मानसिक तनाव और कुंडली से जुड़े दोष जैसे ‘कालसर्प दोष’ प्रबल हो सकते हैं। इसलिए इस दिन तवे पर रोटी बनाने से परहेज़ किया जाता है।
धार्मिक मान्यताएं: नाग देवता का अपमान न हो
धार्मिक परंपराओं के अनुसार, तवे को नाग देवता के फन का प्रतीक माना जाता है। पंचमी के दिन तवे का उपयोग करना नाग देवता का अपमान माना जाता है, जो उन्हें क्रोधित कर सकता है। इसलिए श्रद्धालु इस दिन रोटी या कोई भी तवे पर बनने वाला व्यंजन नहीं बनाते।
इसके बजाय घरों में एक दिन पहले ही पका हुआ खाना खाया जाता है, या फिर पत्तों पर रखे हुए दूध, फल, मिठाई आदि अर्पित किए जाते हैं। नाग देवता को दूध और जल चढ़ाने की परंपरा विशेष रूप से निभाई जाती है।
Disclaimer: यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषीय मान्यताओं पर आधारित है। इसकी पुष्टि “स्वतंत्र समय” द्वारा नहीं की गई है।