Maharashtra CM: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बावजूद मुख्यमंत्री पद को लेकर महायुति में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। शिवसेना, एनसीपी और बीजेपी के बीच गठबंधन के बावजूद मुख्यमंत्री का नाम फाइनल नहीं हो पाया है।
देवेंद्र फडणवीस का दिल्ली दौरा और सस्पेंस
बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस सोमवार को दिल्ली पहुंचे, जहां उन्होंने एक निजी शादी समारोह में हिस्सा लिया। हालांकि, इस दौरान उनकी बीजेपी के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की कोई सूचना नहीं मिली। इसके बाद वे सीधे मुंबई लौट गए, जिससे अटकलें तेज हो गईं कि पार्टी के भीतर अभी भी मुख्यमंत्री पद को लेकर चर्चा जारी है।
BJP में देरी की वजह
- विधायक दल का नेता नहीं चुना गया:
शिवसेना ने एकनाथ शिंदे को और एनसीपी ने अजित पवार को विधायक दल का नेता चुन लिया है, लेकिन बीजेपी ने अब तक ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है। - मुख्यमंत्री पद के लिए नामों पर चर्चा:
सूत्रों के अनुसार, बीजेपी देवेंद्र फडणवीस के अलावा भी कुछ अन्य नामों पर विचार कर रही है। पार्टी नेतृत्व अंतिम निर्णय लेने से पहले सभी विकल्पों पर विचार कर रहा है। - दिल्ली से पर्यवेक्षक का इंतजार:
महाराष्ट्र में बीजेपी विधायक दल का नेता चुनने के लिए दिल्ली से पर्यवेक्षक नहीं भेजा गया है, जिससे प्रक्रिया में देरी हो रही है।
सोमवती अमावस्या का इंतजार?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी 2 दिसंबर को पड़ने वाली सोमवती अमावस्या का इंतजार कर रही है। शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए सरकार गठन और मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण की तारीख अमावस्या के बाद तय की जा सकती है।
शिंदे गुट का दावा
शिवसेना (शिंदे गुट) के विधायक संजय शिराट ने इस देरी पर तंज कसते हुए कहा कि महाराष्ट्र की जनता ने चुनाव में “राहु-केतु” को सही रास्ता दिखा दिया है, और अब ग्रह-नक्षत्र महायुति के पक्ष में हैं। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि देरी से जनता में गलत संदेश जा सकता है।
आगे क्या?
- बीजेपी का निर्णय अहम:
मुख्यमंत्री का चेहरा तय करने के लिए बीजेपी के भीतर चर्चा चल रही है। जल्द ही दिल्ली से पर्यवेक्षक भेजकर विधायक दल का नेता चुना जाएगा। - महायुति के अन्य दलों की भूमिका:
शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) का दबाव है कि प्रक्रिया जल्द पूरी हो, ताकि सरकार गठन में तेजी लाई जा सके।
महाराष्ट्र में महायुति ने विधानसभा में बहुमत हासिल किया है, लेकिन मुख्यमंत्री पद पर सहमति बनने में देरी हो रही है। बीजेपी को अपने निर्णय में तेजी लानी होगी, ताकि जनता के बीच स्पष्ट संदेश जाए। सोमवती अमावस्या के बाद सरकार गठन की संभावना मजबूत नजर आ रही है।