हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष धार्मिक महत्व है। इस दिन भक्तजन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं। परंपरा के अनुसार, एकादशी के दिन चावल या किसी भी प्रकार के अन्न का सेवन वर्जित माना जाता है क्योंकि इसे अपवित्र भोजन माना जाता है। लेकिन देश में कुछ पवित्र स्थान ऐसे भी हैं, जहां यह नियम लागू नहीं होता।
जगन्नाथ पुरी और बद्रीनाथ धाम जैसे प्रमुख तीर्थस्थलों पर एकादशी के दिन भी चावल का सेवन न सिर्फ किया जाता है, बल्कि इसे भगवान का महाप्रसाद मानकर श्रद्धापूर्वक ग्रहण भी किया जाता है।
जगन्नाथ पुरी की अनोखी मान्यता
ओडिशा स्थित जगन्नाथ मंदिर को विश्वभर में भगवान विष्णु के सबसे पवित्र धामों में गिना जाता है। यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां एकादशी के दिन चावल और अन्न का सेवन पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाता है। यहां एकादशी को “उल्टी एकादशी” के रूप में मनाया जाता है, जिसका अर्थ है कि इस दिन उपवास के सामान्य नियम उलटे हो जाते हैं और चावल सहित अन्य अनाजों का सेवन होता है।
एकादशी को चावल खाने के पीछे की कथा
इस परंपरा के पीछे एक रोचक पौराणिक कथा जुड़ी है। कहा जाता है कि एक बार ब्रह्मा जी स्वयं भगवान जगन्नाथ के महाप्रसाद को ग्रहण करने के लिए पुरी धाम पहुंचे। लेकिन जब वे मंदिर पहुंचे, तब तक सारा प्रसाद समाप्त हो चुका था। सिर्फ कुछ चावल के दाने बचे थे, जिन्हें एक कुत्ता खा रहा था। ब्रह्मा जी ने उस कुत्ते के साथ ही भक्तिभाव से बचे हुए चावल खा लिए। यह घटना एकादशी के दिन हुई थी।
भगवान जगन्नाथ इस भक्तिभाव से इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने घोषणा की “मेरे धाम में एकादशी पर चावल वर्जित नहीं होगा। इस दिन चावल को महाप्रसाद स्वरूप में भोग लगाया जाएगा।” तब से लेकर आज तक जगन्नाथ पुरी में एकादशी पर चावल और अन्न का सेवन पूरी आस्था के साथ होता आ रहा है।
बद्रीनाथ धाम में भी एकादशी को चावल का भोग
जगन्नाथ मंदिर की ही तरह, उत्तराखंड स्थित बद्रीनाथ धाम में भी एकादशी के दिन चावल सेवन की परंपरा है। बद्रीनाथ को भी भगवान विष्णु का प्रमुख निवास स्थान माना जाता है। मान्यता है कि एक बार भगवान विष्णु ने एक पुजारी को स्वप्न में दर्शन दिए और कहा कि एकादशी के दिन चावल से बनी खिचड़ी का भोग उन्हें अर्पित किया जाए और उसे भक्तों में बांटा जाए। तभी से वहां एकादशी के दिन विशेष रूप से खिचड़ी बनाई जाती है और भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित की जाती है।