Aarti rules in Hinduism: हम सभी जानते हैं कि हर पूजा में आरती का विशेष महत्व होता है। चाहे पूजा घर पर हो या मंदिर में, इसका समापन हमेशा आरती से ही किया जाता है। बहुत से लोग इसे केवल एक परंपरा या रस्म मानते हैं, लेकिन सच यह है कि आरती करना भगवान से आत्मिक रूप से जुड़ने का बेहद खूबसूरत साधन है। अब सवाल ये है कि आरती के दौरान आंखें बंद रखनी चाहिए या खुली?
अक्सर लोग श्रद्धा और ध्यान में आंखें बंद कर लेते हैं, लेकिन शास्त्रों के अनुसार यह सही तरीका नहीं माना जाता। आरती का असली महत्व तभी पूरा होता है जब हम भगवान की मूर्ति, तस्वीर या दीपक की लौ को आंखों से देखें। क्योंकि अगर हम आंखें बंद कर लें, तो ऐसा लगता है जैसे भगवान हमारे सामने होते हुए भी हम उन्हें देखना नहीं चाहते।
आरती का सही भाव
आरती को भगवान का स्वागत और सम्मान माना जाता है। मान्यता है कि जब हम आरती करते हैं, तो देवता वास्तव में वहां उपस्थित होते हैं। ऐसे समय में आंखें बंद करना, उनसे मिलने और उन्हें देखने का अवसर खो देने जैसा है। जब हम खुली आंखों से भगवान को निहारते हैं, तो हमारी भक्ति और गहरी हो जाती है और मन पूरी तरह भगवान पर केंद्रित हो जाता है।
दीपक की लौ को देखते हुए हमें यह एहसास होता है कि जीवन के अंधेरे में भी एक छोटी-सी ज्योति रोशनी और उम्मीद फैला सकती है। यही अनुभव हमें आरती में मिलता है। जब हम भगवान की छवि को देखते हैं तो आत्मा और ईश्वर का मिलन सा महसूस होता है।
आरती के कुछ जरूरी नियम
खड़े होकर आरती करें : खड़े रहकर आरती करना आदर और सम्मान का प्रतीक है। इससे पता चलता है कि हम पूरे मन से भगवान का स्वागत कर रहे हैं।
आरती की थाली सजाएं : दीपक के साथ फूल, कपूर और अक्षत रखें। दीपक में पर्याप्त घी या तेल डालें ताकि आरती बीच में बाधित न हो।
दीपक घुमाने का तरीका : पहले भगवान के चरणों के सामने चार बार, फिर नाभि के पास दो बार और उसके बाद मुख की ओर एक बार दीपक घुमाएं। इसके बाद पूरे स्वरूप की आरती करें।
शंख बजाना और जल छिड़कना : आरती के बाद शंख बजाना शुभ माना जाता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। शंख का जल चारों दिशाओं में छिड़कने से घर में शांति और समृद्धि बनी रहती है।
Disclaimer : यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। स्वतंत्र समय इसकी प्रामाणिकता या वैज्ञानिक पुष्टि का समर्थन नहीं करता है।