मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में प्रमोशन में आरक्षण संबंधित याचिका की सुनवाई हुई. इस दौरान हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा “पुरानी पॉलिसी को निरस्त किये जाने के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गयी है. सर्वोच्च न्यायालय ने यथास्थिति की आदेश जारी किए हैं. फैसला अगर उनके पक्ष में आता है तो नयी पॉलिसी नीति पर उसका क्या प्रभाव पड़ेगा.
हाई कोर्ट ने नए निर्देश जारी करने के लिए दिया वक्त
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग को दिशा-निर्देश प्रदान करने के लिए सरकार को समय दिया है. मामले के अनुसार भोपाल निवासी डॉ. स्वाति तिवारी व अन्य की तरफ से दायर याचिकाओं में मध्यप्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025 को चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया “वर्ष 2002 के नियमों को हाई कोर्ट द्वारा आरबी राय के केस में समाप्त किया जा चुका है. इसके विरुद्ध मध्य प्रदेश शासन ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की है.
हाई कोर्ट में अजाक्स की याचिकाएं
याचिका में इस बात का उल्लेख किया गया “सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं. सर्वोच्च न्यायालय में याचिका लंबित होने के बावजूद मध्य प्रदेश शासन ने महज नाममात्र का शाब्दिक परिवर्तन कर जस के तस नियम बना दिए.” अजाक्स सहित आरक्षित वर्ग की ओर से अनेक अधिकारियों व कर्मचारियों ने इस मामले में हस्तक्षेप याचिकाएं दाखिल की हैं.
अगली सुनवाई 25 सितंबर को
याचिका में सरकारी विभागों में प्रतिनिधित्व के हिसाब से डेटा प्रस्तुत किए गए. युगलपीठ ने सभी याचिकाओं की सुनवाई संयुक्त रूप से की. युगलपीठ को मध्यप्रदेश शासन की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन एवं महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने बताया “इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से परिपत्र जारी कर वर्तमान स्थिति पर स्पष्टीकरण जारी करेंगे.” युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुरनवाई 25 सितंबर को निर्धारित की है. महाधिवक्ता के पूर्व में दिए मौखिक अंडरटेकिंग के चलते फिलहाल नई पॉलिसी से प्रमोशन रुके हुए हैं।