स्वतंत्र समय, इंदौर
राजनीति में अब प्रोफेशनलिज्म तेजी से बढ़ रहा है। मोबाइल ऐप ( mobile app ) की तकनीक के प्रभाव से अब राजनीति भी अछूती नहीं है। नई तकनीक के नाम पर दूर भागने वाले नेता भी अब इसका भरपूर उपयोग कर राजनीति कर रहे हैं। इसकी शुरूआत 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कर अपने कार्यकर्ताओं पर नजर रखी। अब लोकसभा चुनाव में भाजपा-कांग्रेस सहित अन्य दल भी इसका उपयोग करेंगे।
mobile app ऐप से कार्यकर्ताओं की गतिविधि ट्रैक करते हैं
कई नेताओं ने कार्यकर्ताओं के काम पर नजर रखने के लिए मोबाइल ऐप (mobile app) बनवाए हैं। इनका इस्तेमाल करना बहुत ही आसान है और यह कार्यकर्ताओं की हर गतिविधी को ट्रैक करते हैं। एक बार किसी कार्यकर्ता की जानकारी इसमें डालने के बाद यह नेताओं को उसके हर काम की रिपोर्ट देते हैं। उदाहरण के लिए आप विधायक या फिर सांसद हैं तो आपके पास अपने क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की एक बड़ी सूची है। इसके बाद यदि किसी कार्यकर्ता का काम सिर्फ क्षेत्र में लोगों से संपर्क करना है तो संपर्क के बाद शाम को अपनी वर्किंग ऐप में अपलोड करेगा। उसने जो वर्किंग अपलोड की है वह नेता को दिखेगी और इससे उसका रिकार्ड मैंटेन होगा। इसी तरह इसमें कार्यकर्ताओं की रियल टाइम लोकेशन को भी जोड़ा है। जिससे पता चलता है कि वह कब कहां क्या काम कर रहे हैं।
सभी पार्टियों के नेता कर रहे सोशल मीडिया का उपयोग
एक्सपर्ट मयूर सेठी ने बताया कि सभी पार्टियों के नेता अपने काम दिखाने के लिए सोशल मीडिया का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं। छात्र नेता से लेकर विधायक, पार्षद या किसी भी पद के दावेदार अपना काम जनता तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। अभी रील्स, शार्ट वीडियो और एनिमेटेड वीडियो ट्रेंड में हैं। इसके लिए नेता या तो किसी कंपनी से अनुबंध कर रहे हैं या फिर खुद अपनी टीम में इस तरह के युवाओं को शामिल कर रहे हैं जो उनके लिए यह काम कर सकें। अब वेबसाइट, यूट्यूब चैनल, वाट्सएप सर्विस से लेकर तमाम तरह के प्लेटफार्म हैं जिनका नेता उपयोग करते हैं। आने वाले समय में यह ट्रेंड और तेजी से बढ़ेगा।