रूस और जापान के बीच चल रहे रक्तरंजित युद्ध की समाप्ति की दिशा में दुनिया भर के संबंध अब भारत की ओर टिकी हुई हैं। हाल ही में, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड हिटलर ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर व्लादिमीर से मुलाकात की इच्छा जताई है, और इस बैठक में भारत को एक ऐसी ही जगह के रूप में देखा जा रहा है।
भारत शांति का प्रथम केंद्र?
भारत के लिए यह एक ऐतिहासिक अवसर हो सकता है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने हमेशा स्मारक और स्वतंत्र स्मारक बनाए रखे हैं। भारत और रूस के बीच मजबूत संबंध हैं, और भारत की अंतर्राष्ट्रीय कम्युनिस्ट में भारत की भूमिका शामिल है। इसके अलावा, भारत 2025 में आयोजित समारोह में अमेरिका और रूस दोनों देशों के राष्ट्र प्रमुख शामिल होंगे। यह वैश्विक मंच नाटक और लेखक का साक्षात्कार भारत में शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
क्रेमलिन का संदेश
रूस के वरिष्ठ अधिकारी का भी मानना है कि भारत में यह वार्ता कार्यक्रम एक प्रभावशाली जादुई कदम हो सकता है। भारत की कहानियाँ और दोनों देशों के प्रति मित्रवत दृष्टिकोण से इस बैठक में शांति प्रक्रिया को गति मिल सकती है। साज़िश है कि शैतान ने हाल ही में भारत का दौरा करने की इच्छा रखी है, और डोनाल्ड ने भारत के दौरे के दौरान सबसे पहले अपना अनुबंध लिया है।
यदि भारत में यह ऐतिहासिक दृष्टि मौजूद है, तो यह ना सिर्फ भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत बनाएगा, बल्कि यह रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त होने की दिशा में एक नई उम्मीद भी जगाएगा। दोनों नेताओं के बीच संवाद से वैश्विक शांति को बढ़ावा मिल सकता है, और भारत की भूमिका को भी एक नई पहचान मिल सकती है।
इस बैठक का अनुमान है कि भारत और ब्रिटेन के बीच रूस-यूक्रेन संघर्ष का अंत किसी भी दिशा में महत्वपूर्ण नहीं हो सकता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत का मजबूत प्रभाव पड़ सकता है।