देश के लाखों केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनभोगी इस समय आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) की हर नई जानकारी पर नजर बनाए हुए हैं। पिछले कुछ महीनों से चर्चा थी कि सरकार 1 जनवरी 2026 से इस नए वेतन आयोग को लागू कर कर्मचारियों को नए साल का बड़ा तोहफा दे सकती है।
सोशल मीडिया और अफवाहों के बीच भ्रम की स्थिति बनी हुई थी, लेकिन अब केंद्र सरकार ने संसद में स्पष्ट रूप से स्थिति को साफ कर दिया है। वित्त मंत्रालय के ताजा बयान ने सभी अटकलों और अनुमान पर विराम लगा दिया है।
सरकार ने स्पष्ट किया लागू होने का समय
8 दिसंबर 2025 को संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने आठवें वेतन आयोग की लागू होने की तारीख के संबंध में जानकारी दी। जब उनसे पूछा गया कि क्या सरकार 1 जनवरी 2026 से इस आयोग को लागू करने की तैयारी कर रही है, तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि “लागू होने की तारीख सरकार तय करेगी, लेकिन अभी इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है।” इस बयान से यह स्पष्ट हो गया कि किसी भी संभावित तारीख को निश्चित मान लेना जल्दबाजी होगी।
सिफारिशें आने में लग सकता है लगभग डेढ़ साल
राज्य मंत्री ने यह भी बताया कि आठवें वेतन आयोग का गठन पहले ही कर दिया गया है। वित्त मंत्रालय ने 3 नवंबर 2025 को आयोग के लिए ‘टर्म्स ऑफ रेफरेंस’ (ToR) जारी कर दी थीं। हालांकि, आयोग को अपनी रिपोर्ट तैयार करने और उसे सरकार को सौंपने में करीब 18 महीने का समय लग सकता है। आयोग अपनी कार्यपद्धति और समयसीमा स्वयं तय करेगा। इसका मतलब यह है कि सिफारिशों के आने और सरकार द्वारा उन्हें मंजूरी देने में अभी काफी समय लगेगा। इसलिए 1 जनवरी 2026 को लागू होने की खबर पर भरोसा करना फिलहाल सही नहीं होगा।
सवा करोड़ से अधिक परिवारों पर प्रभाव
आठवें वेतन आयोग का प्रभाव बहुत व्यापक होगा। सरकार के अनुसार, देश में कुल 50.14 लाख केंद्रीय कर्मचारी और करीब 69 लाख पेंशनभोगी हैं। यानी यह आयोग लगभग सवा करोड़ परिवारों की आर्थिक स्थिति को सीधे प्रभावित करेगा। कर्मचारी और पेंशनभोगी इस पर विशेष ध्यान रख रहे हैं क्योंकि उनकी मासिक आय और वित्तीय योजना सीधे तौर पर इसके निर्णयों पर निर्भर करेगी।
बजट और फंडिंग पर स्थिति
संसद में यह भी सवाल उठाया गया कि क्या सरकार ने आगामी बजट में इस आयोग के लिए धन की व्यवस्था की है। सरकार ने स्पष्ट किया कि जब आयोग अपनी सिफारिशें दे देगा और उन्हें मान्यता मिल जाएगी, तभी बजट में आवश्यक फंड का प्रावधान किया जाएगा। इसका अर्थ यह है कि अभी फंड आवंटन पर चर्चा करना जल्दबाजी होगी।