बिना मेकअप के भी ये महिलाएं दिखती हैं अप्सरा जैसी, जानकर आपकी आंखें फटी रह जाएंगी, क्या है इनकी खूबसूरती का राज?

Chhattisgarh jewellery Tradition:  आज की दुनिया में जहां महिलाएं अपने चेहरे की चमक और खूबसूरती बढ़ाने के लिए महंगे-महंगे प्रोडक्ट्स, फेशियल्स, फाउंडेशन और मास्क का इस्तेमाल करती हैं, वहीं छत्तीसगढ़ की महिलाएं सौंदर्य निखारने के लिए परंपरागत आभूषणों का सहारा लेती हैं। यहां की पारंपरिक ज्वैलरी न सिर्फ उनकी सुंदरता को निखारती है, बल्कि उनकी सांस्कृतिक विरासत और पहचान को भी दर्शाती है।

ज्वैलरी नहीं, पहचान है यह संस्कृति की

छत्तीसगढ़ की महिलाएं पारंपरिक आयोजनों, त्योहारों और खास अवसरों पर खास तरह के आभूषण पहनती हैं। इनमें ‘phuli’ (नाक की बाली), ‘suta’ (गले का मोटा हार), ‘kardhani’ (कमरबंद), ‘painjani’ (पायल) और ‘bichhiya’ (पैर की अंगुलियों की अंगूठी) बेहद खास माने जाते हैं। इन गहनों का हर टुकड़ा न सिर्फ उनका सौंदर्य बढ़ाता है, बल्कि महिला के विवाहित या अविवाहित होने का संकेत भी देता है।

सोना-चांदी नहीं, भावनाओं का मेल

यहां की पारंपरिक ज्वैलरी सिर्फ गहना नहीं होती, बल्कि एक भावना होती है। ये गहने स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाए जाते हैं और इनमें पारंपरिक नक्काशी होती है जो पीढ़ियों से चली आ रही है। महिलाएं जब इन गहनों को पहनती हैं, तो उनकी चाल, हाव-भाव और आत्मविश्वास अलग ही स्तर पर होता है। खासतौर पर आदिवासी समुदायों में गहनों का अपना सामाजिक महत्व होता है।

रूप निखारे, परंपरा निभाए

छत्तीसगढ़ की ये परंपरागत ज्वैलरी आधुनिक फैशन को पीछे छोड़ने की ताकत रखती है। आज भी ग्रामीण इलाकों की महिलाएं इन्हें गर्व से पहनती हैं। कुछ गहने जैसे ‘चूड़ीदार बाजूबंद’, ‘छत्तीसगढ़ी झुमके’ और ‘माथे की बिंदी (मौर)’ इतनी खूबसूरत होती हैं कि उन्हें पहनते ही चेहरे की चमक बढ़ जाती है। इन गहनों का उपयोग आजकल शहरी महिलाएं भी अपने ट्रेडिशनल आउटफिट्स के साथ करने लगी हैं।