छत्तीसगढ़ राज्य की विष्णुसाय सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से संबंधित एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इसके तहत, जब कर्मचारियों का तबादला होगा, तो उन्हें सात दिनों के भीतर अपनी नई जगह पर ज्वाइनिंग देनी होगी। यदि कोई कर्मचारी इस आदेश का पालन नहीं करता है, तो उसके खिलाफ “ब्रेक-इन-सर्विस” की कार्रवाई की जाएगी। यह निर्णय कार्य व्यवस्था को बेहतर और कर्मचारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है।
सामान्य प्रशासन विभाग ने छत्तीसगढ़ के सभी विभाग प्रमुखों को 7 बिंदुओं में दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनका उद्देश्य कर्मचारियों के ट्रांसफर और ज्वाइनिंग प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना है। इसके अनुसार, कर्मचारियों को अपने स्थानांतरण के बाद नई जगह पर समय पर ज्वाइन करना अनिवार्य होगा।
इसके साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि किसी कर्मचारी को अपने वर्तमान पदस्थापन स्थान से अनुपस्थित रहने या नई पदस्थापन पर उपस्थित होने से इनकार करने का कोई अधिकार नहीं होगा। हालांकि, यदि कर्मचारी स्थानांतरण से व्यथित हैं, तो उन्हें अपने स्थानांतरण के खिलाफ शिकायतें करने का पूरा अधिकार होगा, और वे नियमों के तहत उपायों का लाभ ले सकते हैं।
इन निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए, विभागों को यह निर्देश दिए गए हैं कि समय पर अधिकारियों की तैनाती हो ताकि शासकीय कार्य और परियोजनाओं में कोई बाधा उत्पन्न न हो।
सामान्य प्रशासन विभाग ने छत्तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से संबंधित 7 प्रमुख दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनका उद्देश्य कार्य प्रणाली को सुव्यवस्थित करना है। ये दिशा-निर्देश निम्नलिखित हैं:
1. कार्यमुक्ति: स्थानांतरण आदेश जारी होने के 10 दिनों के भीतर शासकीय सेवक को कार्यमुक्त किया जाए। यदि वे तय समय में कार्यमुक्त नहीं होते हैं, तो एकतरफा आदेश जारी कर उसे कार्यमुक्त माना जाए और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
2. निलम्बन और ब्रेक-इन-सर्विस: शासकीय सेवक द्वारा 7 दिनों के भीतर स्थानांतरण आदेश का पालन नहीं करने पर उनके खिलाफ निलम्बन की कार्रवाई की जाए और अनाधिकृत अनुपस्थिति को “ब्रेक-इन-सर्विस” माना जाए।
3. अवकाश: यदि स्थानांतरण के बाद शासकीय सेवक 7 दिन से अधिक समय के लिए अवकाश लेते हैं, तो उन्हें मेडिकल बोर्ड के समक्ष उपस्थित होने के लिए कहा जाए। यदि मेडिकल बोर्ड अनुशंसा नहीं करता या शासकीय सेवक अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित रहता है, तो इसे अनधिकृत अनुपस्थिति मानकर “डाईज नॉन” किया जाए।
4. अवकाश स्वीकृति: स्थानांतरण के बाद शासकीय सेवक का अवकाश नई पदस्थापना के कार्यालय से ही स्वीकृत किया जाएगा।
5. अनुसूचित और गैर-अनुसूचित क्षेत्र: अनुसूचित क्षेत्र के शासकीय सेवक का गैर-अनुसूचित क्षेत्र में स्थानांतरण करने के लिए उसके एवजीदार का भी प्रस्ताव अनिवार्य रूप से रखना होगा। रिक्तियों के असंतुलन को संतुलित करने का ध्यान रखा जाएगा।
6. कार्यमुक्ति की शर्तें: अनुसूचित क्षेत्र से गैर-अनुसूचित क्षेत्र में स्थानांतरित शासकीय सेवक को तब तक कार्यमुक्त नहीं किया जाएगा, जब तक उसका एवजीदार कार्य पर उपस्थित न हो जाए। यदि दो तिहाई पद भरे हुए हों, तो कार्यमुक्ति पर विचार किया जा सकता है।
7. पदग्रहणकाल: यदि स्थानांतरण के दौरान निवास स्थान में परिवर्तन नहीं होता है, तो कार्यमुक्ति के बाद एक दिन से अधिक पदग्रहणकाल की पात्रता नहीं होगी। स्थानांतरण के कारण मुख्यालय परिवर्तन होने पर, कार्यमुक्ति का समय एक सप्ताह से अधिक नहीं हो सकता।
ये दिशा-निर्देश शासकीय सेवकों के स्थानांतरण और कार्य व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए लागू किए गए हैं।