हर साल World Paper Day का मकसद लोगों को यह समझाना होता है कि प्लास्टिक नहीं, पेपर बैग्स इस्तेमाल करें, ताकि हमारा पर्यावरण साफ, सुरक्षित और टिकाऊ बना रहे। पेपर बैग्स बायोडिग्रेडेबल होते हैं और मिट्टी में घुल जाते हैं, जिससे प्रकृति को नुकसान नहीं होता।
पेपर बैग्स का इतिहास
साल 1852 में फ्रांसिस वोले ने पहली पेपर बैग मशीन बनाई थी और 1870 में मारग्रेट इलोइस ने फ्लैट बॉटम वाले पेपर बैग्स डिजाइन किए थे, जिन्हें आज ‘मदर ऑफ ग्रोसरी बैग्स’ कहा जाता है।
आज की तारीख में ब्लिंकिट, मिंत्रा, जेप्टो जैसी बड़ी कंपनियां प्लास्टिक की जगह पेपर बैग्स में सामान भेज रही हैं। लेकिन क्या आपके घर में भी इन पेपर बैग्स का ढेर लग गया है? तो फेंकने से पहले जरा रुकिए! क्योंकि इनका दोबारा इस्तेमाल करने के कुछ कमाल के देसी तरीके हैं:
गिफ्ट रैपिंग
खूबसूरत डिजाइन वाले बैग्स को गिफ्ट पेपर की तरह इस्तेमाल करें। दिखने में स्टाइलिश और जेब पर भी हल्का। ये आपके दोस्त या पार्टनर को खूब पसंद आएंगे।
ड्रॉअर लाइनर
आप चाहें तो पेपर बैग्स को मसालों की अलमारी या किचन ड्रॉअर में इन्हें पेपर की जगह बिछाएं। इससे पेपर वेस्ट नहीं होंगे और ड्रॉअर खराब नहीं होगा।
सूखे कचरे के लिए डस्टबिन में बेस पर रख सकते हैं। वहीं, छोटे टुकड़े कर के गमले में डालकर इसका खाद भी बना सकते हैं।
आर्ट एंड क्राफ्ट
बच्चों के प्रोजेक्ट्स, ऑरिगैमी या घर की सजावट में इस्तेमाल करें। आप चाहें तो इसे बच्चों को कलरिंग और पेंटिंग के लिए दें। तो इस वर्ल्ड पेपर डे, प्लास्टिक को टाटा कहिए और पेपर बैग्स से जुड़ी इन शानदार ट्रिक्स को अपनाइए!